जीएसटी बिल महाराष्ट्र विधानमंडल में सर्वसम्मति से हुआ पारित
जीएसटी बिल सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के विशेष अधिवेशन में सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
जेएनएन, मुंबई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को मंजूरी देनेवाला महाराष्ट्र नौवां राज्य बन गया। आज विधानमंडल के विशेष अधिवेशन में दोनों सदनों ने एकमत से इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की। जीएसटी पर महाराष्ट्र विधानमंडल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए आज विशेष अधिवेशन बुलाया गया था। जहां गरमागरम बहस तो हुई, लेकिन विधेयक को सर्वसम्मति से पास करने में किसी दल ने कोई हिचक नहीं दिखाई।
राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शुरुआत में जीएसटी के समर्थन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने से राज्य में लिए जानेवाले 17 प्रकार के कर समाप्त होंगे। इससे मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी। पारदर्शिता बढ़ेगी। भ्रष्टाचार कम होगा एवं समान कर ढांचा देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
मुनगंटीवार ने यह आश्वासन भी दिया कि जीएसटी लागू होने से राज्य को कोई नुकसान नहीं होगा। सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना द्वारा स्थानीय निकायों को नुकसान होने की आशंका व्यवक्त की जा रही थी। इस मुद्दे पर भी सदन को आश्वस्त करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि इस साल स्थानीय निकायों को थोड़ा नुकसान हो सकता है, लेकिन उसकी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2010 में एक देश – एक टैक्स नीति के तहत जीएसटी लाने की पहले कांग्रेसनीत सरकार के वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने की थी। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह अपने राज्य में जीएसटी लागू नहीं होने देंगे। अब वह प्रधानमंत्री के रूप में जीएसटी लागू कराना चाहते हैं।
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विखे पाटिल ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताने की कोशिश कर रही है, जैसे वह कोई नई चीज देश में ला रही है। अब इस कानून को लागू कराने का श्रेय शिवसेना-भाजपा को नहीं लूटना चाहिए। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने भी सरकार पर तीखे वार किए। साथ ही यह भी कहा कि राज्य के भले के लिए हम इसका समर्थन कर रहे हैं। अंततः दोनों सदनों ने एकमत से जीएसटी को मंजूरी प्रदान की।
केंद्र की राजग सरकार के विशेष प्रयासों से हाल ही में जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में एकमत से मंजूरी मिली थी। लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी थी। लेकिन एक अप्रैल 2017 से इसे पूरे देश में लागू करने से पहले कम से कम 15 राज्यों की मंजूरी आवश्यक है। असम, गुजरात, झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं नागालैंड इसे पहले ही मंजूरी प्रदान कर चुके हैं।
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