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पोस्टमार्टम संबंधी नियमों का अध्ययन करेगा विधि आयोग

केंद्र सरकार चाहती है कि विधि आयोग पोस्टमार्टम से संबंधित बेकार हो गए नियमों का अध्ययन करे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2016 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2016 08:39 PM (IST)

नागपुर, प्रेट्र। केंद्र सरकार चाहती है कि विधि आयोग पोस्टमार्टम से संबंधित बेकार हो गए नियमों का अध्ययन करे और एक समग्र रिपोर्ट पेश करे। फोरेंसिक मेडिकल विशेषज्ञ ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया है कि अध्ययन के आधार पर सरकार पोस्टमार्टम से संबंधित कानून में संशोधन कर सकती है।

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को 82 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी गई है। यह रिपोर्ट महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एमजीआइएमएस) सेवाग्राम (वर्धा) के क्लीनिकल फोरेंसिक मेडिसिन यूनिट प्रभारी डॉ. इंदरजीत खांडेकर ने सौंपी है। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद पोस्टमार्टम कानून से संबंधित कदम सरकार उठाने जा रही है।खांडेकर के मुताबिक, पीएमओ ने हाल ही में विधि आयोग को पोस्टमार्टम जांच से जुड़े कानूनों का अध्ययन करने के लिए कहा है।

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अध्ययन के साथ ही आपराधिक कानून के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए रिपोर्ट सौंपने को कहा है। रिपोर्ट के आधार पर पोस्टमार्टम से संबंधित आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम आदि जैसे विभिन्न नियमों में समग्र संशोधन किया जा सकेगा।अपनी रिपोर्ट में खांडेकर ने उल्लेख किया है कि 1898 से डॉक्टर आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान 174 का अनुसरण करते चले आ रहे हैं। यह प्रावधान ब्रिटिश सरकार ने निर्धारित किया था।

अब यह पुराना पड़ चुका है और उसका सही तरीके से अनुसरण नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि 100 वर्षो के बाद भी कानून में एक भी संशोधन नहीं किया गया है। इससे पुलिस द्वारा की जाने वाली मेडिको-लीगल डेथ जांच की दयनीय गुणवत्ता दूर नहीं हो पा रही है। इसके अलावा देश में पोस्टमार्टम जांच का भयावह स्वरूप आज भी बरकरार है।

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