मौत का वक्त नहीं टाल पाया याकूब, जन्मदिन पर ही होगी फांसी
बमों में टाइमर लगाकर मौत का समय तय करने वाला मुंबई बम धमाकों का दोषी याकूब मेमन अपनी मौत का वक्त नहीं टाल पाया। उसके लिए बुधवार को समय का पहिया तेजी से घूमा। पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने 'मौत का फरमान' रद करने की उसकी मांग खारिज कर दी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बमों में टाइमर लगाकर मौत का समय तय करने वाला मुंबई बम धमाकों का दोषी याकूब मेमन अपनी मौत का वक्त नहीं टाल पाया। उसके लिए बुधवार को समय का पहिया तेजी से घूमा। पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने 'मौत का फरमान' रद करने की उसकी मांग खारिज कर दी। इसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी उसकी दया याचिका ठुकरा दी। मौत को टालने का अंतिम प्रयास करते हुए उसने राष्ट्रपति को नई दया याचिका भेजी। इस पर राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय से राय मांगी। गृह मंत्रालय ने भी राष्ट्रपति को दया याचिका खारिज करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही 30 जुलाई को तय समय पर उसे नागपुर जेल में फांसी देने का रास्ता साफ हो गया।
जन्मदिन पर मिलेगी मौत
30 जुलाई को पैदा हुए याकूब को इसी दिन मौत की सजा दी जाएगी। मुंबई में 12 मार्च, 1993 के श्रृंखलाबद्ध धमाके में 257 लोग मारे गए थे। इसी मामले में मेमन को फांसी दी जा रही है। वह इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री भी नहीं ले पाएगा। यह चौथा मौका है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की फांसी पर मुहर लगाई है। इससे पहले तीन बार वह फांसी रद करने की याचिकाएं खारिज कर चुका है।
डेथ वारंट में खामी नहीं
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने याकूब के परिजनों की दोनों याचिकाएं चार घंटे सुनवाई के बाद खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल पंत और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा कि याकूब को 30 जुलाई को फांसी देने के टाडा अदालत से गत 30 अप्रैल को जारी किए गए डेथ वारंट में कोई कानूनी खामी नहीं है। पीठ ने जस्टिस कुरियन जोसेफ के उस आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने क्यूरेटिव याचिका निपटाने में प्रक्रियागत खामी बताते हुए नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा...
-तीन वरिष्ठतम जजों द्वारा याकूब की क्यूरेटिव याचिका खारिज करने का फैसला सही था।
-राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने पर याकूब ने उसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी।
-याकूब के वकील फांसी के 14 दिन पूर्व उसे सूचना देने के अनिवार्य प्रावधान का उल्लंघन साबित नहीं कर सके।
सुप्रीम कोर्ट में ऐसे चली बहस
याकूब के वकील: दया याचिका समेत बचाव के सारे कदम नहीं उठाने दिए गए।
सुप्रीम कोर्ट: राष्ट्रपति ने 11 अप्रैल 2014 को दया याचिका खारिज की। इसकी सूचना 26 मई 2014 को उसे दे दी गई थी। इस दौरान कुछ नहीं किया।
याकूब के वकील: डेथ वारंट उसे सुने बगैर जारी किया और दया याचिका खारिज होने तथा उसे सूचना देने के 14 दिन बाद फांसी के अनिवार्य प्रावधान का पालन नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट: पहली दया याचिका खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी किया गया। यह वारंट 30 अप्रैल 2015 को जारी किया गया था।
क्या है याकूब का गुनाह
-मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए भाई टाइगर मेमन की मदद की थी।
-विस्फोटकों के लिए वाहन याकूब ने ही खरीदे थे।
-परिवार में पैसे के लेन-देन का हिसाब रखता था। इसी पैसे का धमाके में उपयोग हुआ।
-विस्फाटकों से भरे दो बैग याकूब ने ही अपने ड्राइवरों को दिए थे।
-धमाकों के तीन दिन पूर्व वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ फरार हो गया था।
नागपुर जेल में मिले परिजन
याकूब के भाई सुलेमान मेमन व अन्य परिजनों ने बुधवार को नागपुर जेल में उससे मुलाकात की। सुलेमान ने कहा कि मुझे देश की न्याय व्यवस्था व परमशक्तिमान परमात्मा में पूरा यकीन है। मेमन परिवार के सदस्य मुंबई से यहां पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार उन्होंने फांसी के बाद याकूब का शव उन्हें सौंपने की मांग की है।
पिछले 10 साल में 1303 को सजा, सिर्फ तीन को फांसी
-14 अगस्त 2004 : धनंजय चटर्जी को कोलकाता में रेप और हत्या के जुर्म में
-21 नवंबर 2012 : 26/ 11 मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को
-9 फरवरी 2013 : संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को
नागपुर सेंट्रल जेल के आसपास धारा 144 लागू
याकूब मेमन को फांसी दिए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन कुछ लोगों की गिरफ्तारी की है। याकूब को नागपुर में जेल में फांसी दी जानी है। इसके चलते नागपुर में जेल के आसपास 500 मीटर के दायरे में किसी के भी आने जाने पर रोक लगा दी है। पुलिस ने गुरुवार शाम तक धारा 144 लागू कर दी है। साथ ही मीडिया की एंट्री बैन कर दी गई है। इस बीच एंबुलेंस व मेडिकल उपकरण नागपुर जेल पहुंच गए हैं।
भूल गए 257 लोगों की मौत
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याकूब की याचिका का विरोध करते हुए था कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी आदेश को रिट याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती। क्यूरेटिव के निपटारे में कोई खामी नहीं है। यह नहीं भूलना चाहिए कि यह मामला आतंकवाद से जुड़ा है। मुंबई धमाकों में 257 लोग मारे गए थे। 20 साल में उनकी मौतें भुला दी गई हैं। वे एक फोटो फ्रेम में जड़ी तस्वीरें बन गए हैं। कोई उनकी बात नहीं कर रहा है।
याकूब को मांफी देने की मांग करना कानून के खिलाफ
याकूब मेमन की फांसी की सजा माफ करने वाले लोगों के बारे में तुषार देशमुख का कहना है कि इन लोगों की मांग हमारी कानून व्यवस्था के खिलाफ है। गौरतलब है कि तुषार देशमुख की मां 1993 मुंबई विस्फोट में मारी गई थी। तुषार ने कहा कि मैने याकूब मेमन को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर एक पत्र पर 1600 लोगों से हस्ताक्षर करवाए हैं। इस काम में मुझे सिर्फ दो घंटे लगे। मैने यह पत्र राज्यपाल को पेश किया है। मैं इस सिलसिसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मिला। मैं यह पत्र राष्ट्रपति को भी पेश करना वाला हूं। उन्होंने कहा कि 1993 का वह दिन मेरे जीवन का सबसे काला दिन था जब मैने अपनी मां को खो दिया था। इसी तरह से 257 लोग उस आतंकी कार्रवाई में मारे गए थे।
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