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    इस आंदोलन से लालू बने बिहार के 'लाल'

    By Edited By:
    Updated: Tue, 11 Jun 2013 09:22 AM (IST)

    राष्ट्रीय जनता दल [राजद] सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। भारतीय राजनीति में इस लोकप्रिय नेता का नज ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल [राजद] सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। भारतीय राजनीति में इस लोकप्रिय नेता का नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं। लालू प्रसाद यादव का जन्म वर्ष 1948 में बिहार के गोपालगंज जिले में एक गरीब यादव परिवार में हुआ था। एक छात्र नेता के तौर पर लालू यादव ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत जयप्रकाश आंदोलन से की थी।

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    बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति में अपनी वाकपटुता एवं करिश्माई नेतृत्व के लिए प्रसिद्घ हैं। जननेता लालू यादव के राजनीतिक सफर की शुरूआत एक छात्र नेता के तौर पर पटना विश्वविद्यालय से हुई। प्रसिद्ध बीएन कॉलेज से कानून और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई के दौरान वे छात्र राजनीति में आए और पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के महासचिव बने जो उनके राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा। नेतृत्व कला में निपुण लालू प्रसाद यादव ने देश में उठे आंदोलनों और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बढ़चढ़कर भाग लिया है। जयप्रकाश नारायण के बिहार छात्र आंदोलन में लालू यादव की भूमिका ने उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में आने का मौका दिया। आंदोलन में उनके जोश और संघर्षशीलता ने लालू यादव को वरिष्ठ नेताओं की नजर में उठा दिया।

    राजनीतिक सफर :

    1977 में इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव मे लालू जीते और पहली बार लोकसभा पहुंचे, तब उनकी उम्र मात्र 29 साल थी। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। लेकिन 1990 में उनके राजनीतिक जीवन का सबसे अहम वक्त तब आया जब वे बिहार के मुख्यमंत्री बने। अनेक आंतरिक विरोधों के बावजूद वे 1995 के अगले चुनाव में भी भारी बहुमत से विजयी रहे और अपने आपको स्थापित किया। लालू के जनाधार मे माई यानि मुस्लिम और यादव के फैक्टर का बड़ा योगदान है, लालू ने इससे कभी इन्कार भी नही किया, और लगातार अपने जनाधार को बढ़ाते रहे।

    हालांकि इसी बीच 1997 में सीबीआइ ने उनके खिलाफ चारा घोटाले मे आरोप पत्र दाखिल किया तो उन्हे मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राजद के अध्यक्ष बने रहे, और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान भी उनके हाथ ही रही। चारा मामले मे लालू को जेल भी जाना पड़ा, बहुत नौटंकी भी हुई और उनको कई महीने जेल मे भी रहना पड़ा, लेकिन बिहार मे लालू को उनकी जगह से हटा देने की क्षमता अब तक किसी ने नहीं जुटाई थी। फिर पिछले लोकसभा चुनाव के बाद लालू को दिल्ली की सत्ता मे योगदान करने की सूझी, लालू तो गृहमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस के दबाव के बात रेलमंत्री बनने को राजी हुए।

    लेखनी में रुचि :

    लालू यादव ने काफी लेख भी लिखे है मुख्यत: राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर, उनका शौंक है बड़े बड़े आंदोलनकारियों की जीवनिया पढना और राजनीतिक चर्चा करना। संगीत के नाम पर लोकगीत इन्हें बहुत पसंद है, और खेलो मे क्रिकेट में दिलचस्पी है। उन्होंने बिहार क्रिकेट एसोसियेशन के अध्यक्ष पद का जिम्मा संभालने के साथ ही फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है।

    विवादित नेता की छवि :

    अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अंदाज है, यही अंदाज लालू यादव को बाकी राजनेताओं से अलग करता है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे मे कुल्हड़ की शुरुवात, लालू यादव हमेशा से ही सुर्खियों मे रहे। इंटरनेट में भी लालू यादव के लतीफों का अलग ही सेक्शन देखने का मिलता हैं। रेलमंत्री रहते हुए भी लालू काफी विवादास्पद रहे। रेलवे में विलेज ओन व्हील गाड़िया, लालू का इन सबके पीछे अपना तर्क है। लालू ने वही किया जो उनके मर्जी मे आया। लालू के रिश्तेदार द्वारा लालू के राजनीतिक सफर में काफी रुकावटें खड़ी की गई। साले साधू यादव हो या परिवार के बाकी लोग, हमेशा किसी ना किसी तरह लालू के लिये मुश्किलें लाते रहे है। वैसे भी लालू हमेशा नये नये विवादों में घिरते रहते है।

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