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कांग्रेस के ही गले पड़ा ललितगेट

मोदी सरकार पर फेंका गया कांग्रेस का ललितगेट का फंदा आखिर में उसके गले ही पड़ गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे पर संसद के पूरे मानसून सत्र को धोने के बाद जब ललित मोदी पर चर्चा हुई तो कांग्रेस अपने ही आरोपों में उलझ गई।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2015 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2015 10:54 PM (IST)
कांग्रेस के ही गले पड़ा ललितगेट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । मोदी सरकार पर फेंका गया कांग्रेस का ललितगेट का फंदा आखिर में उसके गले ही पड़ गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे पर संसद के पूरे मानसून सत्र को धोने के बाद जब ललित मोदी पर चर्चा हुई तो कांग्रेस अपने ही आरोपों में उलझ गई। लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे, ड्रामे और बायकाट के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के आरोपों और नीयत की धज्जियां उड़ाकर रख दीं।

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जेटली न सिर्फ यह स्थापित करने में सफल रहे कि ललित मोदी के खिलाफ शोर मचा रही पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने ही उसे बचाने का काम किया था। बल्कि तकनीकी तौर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को झूठा और गलत भी साबित कर दिया। कांग्रेस पर जीएसटी और देश के विकास के आड़े आने का आरोप लगाते हुए उनके सारे आरोप खारिज किए और दो टूक कहा कि सुषमा स्वराज किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं देंगी।

एक पखवाड़े से संसद को अवरुद्ध कर रही कांग्रेस बुधवार को कार्यस्थगन की अपनी शर्त के साथ ललितगेट मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हुई। उसे उम्मीद थी कि सत्ता पक्ष कार्यस्थगन पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होगा, लेकिन सरकार राजी हो गई। दरअसल, सुषमा स्वराज ही इस मसले पर विपक्ष के लगाए गए आरोपों का खुद जवाब देने के लिए अडिग थीं और उन्होंने सरकार को इसके लिए तैयार भी कर लिया।

बहरहाल, कांग्रेस के लोकसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा की शुरुआत कर तीखे आरोप लगाए। कांग्रेस ने सीधे प्रधानमंत्री से ही इस मसले पर जवाब की मांग कर रणनीति तैयार कर ली थी कि सरकार को बोलने का ही मौका नहीं देंगे। खड़गे के बाद सुषमा स्वराज सफाई के लिए खड़ी हुई तो कांग्रेस ने जोरदार हंगामा कर अपने ऐसे इरादे भी जाहिर किए। लेकिन सुषमा ने शोरगुल के बीच ही कांग्रेस के आरोपों का न सिर्फ जवाब दिया, बल्कि क्वात्रोची और एंडरसन पर उसे ही कठघरे में खड़ा कर दिया। शाम को राहुल गांधी ने सुषमा पर फिर तीखा हमला बोला और प्रधानमंत्री को लपेटा।

सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री के बजाय वित्त मंत्री अरुण जेटली जवाब देने के लिए खड़े हुए और कांग्रेस को उसके ही आरोपों के वार से धराशायी कर दिया। कांग्रेस, वामदलों, जदयू, राजद और आम आदमी पार्टी ने जेटली के खड़े होते ही सदन से बहिर्गमन किया। जेटली ने पहले तो कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सिर्फ नई सकार के जमाने में सुशासन का रास्ता रोकने के लिए नारेबाजी और हंगामा कर कांग्रेस देश का विकास बाधित कर रही है। असल बात यह है कि कांग्रेस विषय से भटक गई है। कांग्रेस काल में भी ललित मोदी के खिलाफ सारे केस कमजोर कर दिए गए थे। तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ब्रिटिश सरकार को तीन चिट्ठियां लिखी थीं। अगर संप्रग सरकार इतनी ही गंभीर थी तो जो व्यक्ति देश से बाहर लंदन में बैठा था, उसके खिलाफ लाइट ब्लू कॉर्नर नोटिस क्यों जारी किया जो सिर्फ देश के अंदर तक सीमित होता है। तभी रेड कॉर्नर नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया?

जेटली ने तकनीकी पहलुओं को सामने रखना शुरू किया, तो पता चला कि ललित मोदी के खिलाफ कार्रवाई में संप्रग सरकार ने ही उदासीनता बरती थी। वित्त मंत्री ने बताया कि 2009 में आम चुनाव के चलते सुरक्षा कारणों से भारत में आइपीएल नहीं हो पाया था। तब यह प्रतियोगिता दक्षिण अफ्रीका में हुई। उस समय प्रवर्तन निदेशालय ने इस आधार पर नोटिस दिया कि पैसा रिजर्व बैंक की अनुमति के बगैर गया। ललित मोदी को ईडी का नोटिस गया। जेटली ने कटाक्ष किया कि फेमा के तहत कार्रवाई में गिरफ्तारी नहीं हो सकती, लेकिन ललित मोदी पर इसके तहत ही मुकदमा दर्ज हुआ।

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि उस वक्त सरकार को क्या सूझी कि ब्लू कार्नर नोटिस उस व्यक्ति के खिलाफ दिया जो लंदन चला गया था? जब फेमा में गिरफ्तारी की भी जरूरत नहीं है। उस आधार पर आप ललित को भारत लाने की बात करते रहे। 2013 से मार्च 2014 के बीच तीन पत्र लिखे लेकिन इंग्लैंड ने मोदी के प्रत्यर्पण से मना कर दिया। जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने पूरा आधार ही गलत तैयार किया था। अब राजग सरकार के दौरान पहली बार पांच अगस्त, 2015 को गिरफ्तारी का आधार तैयार हुआ।

राहुल पर सीधे टिप्पणी करते हुए जेटली ने कहा कि भारत के साथ मजाक मत करो। आपकी सरकार विफल रही और अब इसीलिए पूरी कोशिश यह है कि भारत आगे ही न बढ़ पाए। राहुल ऐसे एक्सपर्ट बन गए हैं जिनके पास जानकारी नहीं है। कांग्रेस का परिवारवाद भी उनके निशाने पर आया। उन्होंने कहा कि सुषमा की बेटी को लपेटा जा रहा है, जो पासपोर्ट मामले में नौवें नंबर की जूनियर थी। कटाक्ष करते हुए जेटली ने कहा कि कुछ लोग बिना काम किए भी जीवनयापन कर सकते हैं। हमारे बच्चों को काम करना पड़ता है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह का बचाव करते हुए जेटली ने राबर्ट वाड्रा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब एक दामाद को रीयल एस्टेट से फायदा मिलता है, तो तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने उसे कमर्शियल ट्रांजेक्शन बताया था। दुष्यंत के मामले में तो चेक से लोन लिया गया और चेक से भुगतान किया गया।

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