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एक कैंसर पीडि़त महिला की मदद करना गुनाह हैं तो मैं गुनहगार हूं: सुषमा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज लोकसभा में ललितगेट पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज दिलाने के लिए ब्रिटिश सरकार से सिफारिश नहीं की। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि मानवीय आधार पर उन्‍होंने एक कैंसर पीडि़त के लिए केवल ब्रिटेन को

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2015 12:26 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2015 03:15 PM (IST)

नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज लोकसभा में ललितगेट पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज दिलाने के लिए ब्रिटिश सरकार से सिफारिश नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मानवीय आधार पर उन्होंने एक कैंसर पीडि़त के लिए केवल ब्रिटेन को संदेश भेजा था। सुषमा सवाल उठाते हुए कहा कि यदि मेरी जगह सोनिया गांधी होतीं तो वह क्या करतीं।

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कई विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में सुषमा ने लोकसभा में कहा कि मेरे अपने लोग जो मेरा बड़ा आदर करते थे, आज मेरी आलोचना कर रहे हैं, मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि आपने ऐसा कैसे किया और क्यों किया? तो मैंने सोचा कि पहले यह तो बता दूं कि मैंने 'क्या' किया।

सुषमा ने कहा कि क्या मैंने ललित मोदी को भारत से भगाया? क्या मैंने उनके खिलाफ चल रही जांच को रुकवाया? क्या मैंने उन्हें यात्रा दस्तावेज देने का अनुरोध किया? मैंने सिर्फ मानवीय आधार पर ब्रिटेन को संदेश भेजा। फैसला ब्रिटिश सरकार को करना था और उन्होंने अपने नियमों के मुताबिक मोदी को यात्रा वीजा दिया। उनके निर्णय में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। वह यात्रा दस्तावेज न देने का भी निर्णय कर सकते थे।

उन्हाेंने कहा कि ललित मोदी की पत्नी 17 साल से कैंसर से पीड़ित हैं। 10वीं बार उनका कैंसर उभरा है। पुर्तगाल में जहां वह इलाज करा रही हैं, डॉक्टरों ने कहा कि इस बार आपका कैंसर जानलेवा है। उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहती हूं कि कोई और मेरी जगह होता तो क्या करता। आप (स्पीकर) होतीं तो क्या करतीं, सोनिया जी ही होतीं तो क्या करतीं। क्या एक कैंसर पीडि़त को मरने के लिए छोड़ देतीं। वह महिला जिसके खिलाफ दुनिया भर में कोई केस नहीं चल रहा, जो 17 वर्षों से कैंसर से पीड़ित है, जिसका कैंसर 10वीं बार उभरा है, ऐसी महिला की मदद करना अगर गुनाह है तो अध्यक्ष जी आपको साक्षी मानकर पूरे राष्ट्र के सामने अपना गुनाह कबूल करती हूं और सदन जो सजा देना चाहे, मैं भुगतने के लिए तैयार हूं।

विदेश मंत्री ने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हाेंने सिफारिश के लिए कोई मेल या चिट्ठी ब्रिटिश सरकार को भेजी हो तो वह सबूत दे। उन्होंने कहा कि मैंने न तो मोदी के वीजा की सिफारिश की और न ही वीजा देने के निर्णय में भूमिका निभाई। यह विशुद्ध रूप से ब्रिटिश सरकार का कॉल था।


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