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पढ़ें, जयललिता के मशहूर अभिनेत्री से 'अम्मा' बनने की पूरी कहानी

जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक तमिल परिवार में हुआ। वह पुराने मैसूर राज्य के मांड्या जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थीं।

By Manish NegiEdited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 12:24 PM (IST)
पढ़ें, जयललिता के मशहूर अभिनेत्री से 'अम्मा' बनने की पूरी कहानी

नई दिल्लीे, (जेएनएन)। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की हालत नाजुक है। 22 सितंबर से चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती जयललिता को रविवार शाम दिल का दौरा पड़ा। जयललिता के समर्थक उन्हें प्यार से अम्मा कहकर पुकारते हैं। आपको बताते हैं जयललिता के अभिनेत्री से मुख्यमंत्री बनने की कहानी।

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जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक तमिल परिवार में हुआ। वह पुराने मैसूर राज्य के मांड्या जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थीं। उनके दादा एक सर्जन थे। महज 2 साल की उम्र में जयललिता के पिता की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद जयललिता की मां उन्हें बेंगलुरु लेकर चली आईं। यहीं से जयललिता ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया।

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अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ खूब ख्याति बटोरी

जब जयललिता स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया और इसी दौरान उन्होंने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। 15 साल की उम्र में जयललिता कन्नड़ फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगीं। इसके बाद वह तमिल फिल्मों में काम करने पहुंचीं।

अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ भी फिल्में करके उन्होंने खूब ख्याति बटोरी। जयललिता ने 'हीमैन' नाम से मशहूर हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र के साथ भी काम किया। जयललिता के जीवन पर बनी एक तमिल फिल्म 'इरूवर' आई थी, जिसमें जयललिता की भूमिका ऐश्वर्या राय ने निभाई थी।

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तमिल, तेलुगूू, कन्नड़ और हिंदी फिल्म में किया काम

जयललिता राजनीति में आने से पहले एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं। उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मों के अलावा एक हिन्दी फिल्म में भी काम किया। उन्होंने सिनेमा को अलविदा कहकर राजनीतिक दुनिया में कदम रखा था। जयललिता अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी (एआईडीएमके) की प्रमुख हैं और उनके समर्थक उन्हें 'अम्मा' कहकर पुकारते हैं।

वैसे तो माना जाता है कि एमजी रामचंद्रन ने जयललिता की राजनीति में एंट्री करवाई थी। जयललिता ने तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन रामचंद्रन की मौत होते ही जयललिता ने खुद को उनकी विरासत का वारिस घोषित कर दिया।

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जयललिता पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बनीं

एम. करुणानिधि की पार्टी द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया था। साल 1983 में एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का सचिव नियुक्त किया था। बाद में राज्यसभा के लिए मनोनित किया गया।
जयललिता पहली बार साल 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि 1996 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केस चला, जिसमें वह दोषी भी पाई गईं। बेंगलुरु की अदालत ने जयललिता को चार साल की सजा सुनाई।

भ्रष्टाचार के आरोप के बावजूद चुनाव जीतीं

जयललिता 2001 में फिर मुख्यमंत्री बनने में सफल रही थीं। भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त होने के बाद कोर्ट से सजा होने के बावजूद जयललिता अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में कामयाब रहीं। उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी कुर्सी अपने विश्वसनीय मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को सौंप दी। जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कुछ राहत मिली तो वह मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री बन गईं।

इसके बाद वह 2011 से 2014 तक मुख्यममंत्री बनीं। गरीबों के लिए योजनाएं शुरू करके वह आम लोगों में काफी पॉपुलर हो गईं।

जयललिता की तबीयत खराब होने के बाद पिछले कुछ दिनों से राज्य के वित्त मंत्री ओ. पनीरसेल्वम ही मुख्यमंत्री का कामकाज संभाल रहे हैं।

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