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पीएम की नसीहत के बावजूद कलराज ने चुना पुरखों का गांव

केंद्रीय मंत्री एवं देवरिया से सांसद कलराज मिश्र ने आदर्श सांसद ग्राम योजना में अपने पुरखों के गांव पयासी को चुना है। इस आशय का पत्र उन्होंने जिलाधिकारी को भेज है। सांसद के इस कदम से अब पयासी सुविधाओं से सुसज्जित होगा। केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने लोकसभा चुनाव में देवरिया से भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद सबसे

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 12 Oct 2014 10:10 AM (IST)Updated: Sun, 12 Oct 2014 11:03 AM (IST)
पीएम की नसीहत के बावजूद कलराज ने चुना पुरखों का गांव

देवरिया [संजय यादव]। केंद्रीय मंत्री एवं देवरिया से सांसद कलराज मिश्र ने आदर्श सांसद ग्राम योजना में अपने पुरखों के गांव पयासी को चुना है। इस आशय का पत्र उन्होंने जिलाधिकारी को भेज है। सांसद के इस कदम से अब पयासी सुविधाओं से सुसज्जित होगा। केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने लोकसभा चुनाव में देवरिया से भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद सबसे पहले पयासी पहुंचे थे। पयासी को उन्होंने अपने पुरखों का गांव बताते हुए विरोधियों को जवाब दिया था कि वह देवरिया के लिए बाहरी नहीं हैं।

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उन्होंने पयासी गांव से मतदाता बनने के लिए कवलदेव मिश्र के परिवार के सदस्य के रूप में आवेदन भी किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सका। सांसद बनने और फिर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के बाद मिश्र गांव से अपने जुड़ाव की नई इबारत लिखने जा रहे हैं। गांव वाले भी खुश हैं कि अब उनका गांव विकास का माडल बन सकेगा।

तो कलराज ने अपने गांव का कैसे किया चयन?

आदर्श सांसद ग्राम योजना की गाइड लाइन में साफ कहा गया है कि कोई भी सांसद अपने या अपनी पत्नी के गांव का चयन इस योजना में नहीं कर सकता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कलराज मिश्र ने 'अपने गांव पयासी' का चयन किस आधार पर किया। इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि पयासी के चयन में गाइड लाइन की अनदेखी नहीं की गई है। सात पुस्त से वहां कलराज मिश्र के परिवार का कोई नहीं रह रहा है। ऐसे में पयासी उनका गांव कैसे हो सकता।

समस्याओं का अंबार

सलेमपुर विकास खंड के पयासी को गौतम गोत्र के मिश्र ब्राह्मणों का उद्गम स्थल माना जाता है। गंडक नदी के किनारे बसे इस गांव के विकास की कवायद तो कई बार हुई लेकिन पिछड़ेपन का ठप्पा नहीं मिटा। गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है, लेकिन उसमें ताला बंद रहता है। पूरा परिसर कूड़ा-कचरा से पटा है।

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