कलाम का निजी जीवन भी अनुकरणीय
भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाने तथा मिसाइल क्षमता प्रदान करने का श्रेय पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है। अविवाहित कलाम की जीवन-गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रच्च्वलित करने में व्यस्त रहते
नई दिल्ली [जेएनएन]। भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाने तथा मिसाइल क्षमता प्रदान करने का श्रेय पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है। अविवाहित कलाम की जीवन-गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रच्च्वलित करने में व्यस्त रहते हुए वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते थे, साहित्य में रुचि रखते, कविता लिखते, वीणा बजाते तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए थे। शाकाहारी कलाम मदिरापान नहीं करते थे। उनका निजी जीवन अनुकरणीय है।
धर्म था मानवता :
उनका मानवतावाद मनुष्यों की समानता के आधारभूत सिद्धांत पर आधारित रहा। 25 जुलाई, 2002 की शाम को भारत के राष्ट्रपति का सर्वोच्च पद संभालने के दिन घटित एक बात से इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उस दिन राष्ट्रपति भवन में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी जिसमें रामेश्वरम् मस्जिद के मौलवी, रामेश्वरम् मंदिर के पुजारी, सेंट जोसेफ कॉलेज के फॉदर रेक्टर तथा अन्य लोगों ने भाग लिया था।
किताबों की रायल्टी करते थे दान :
कलाम की लिखी पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रहीं। वे अपनी किताबों की रायल्टी का अधिकांश हिस्सा स्वयंसेवी संस्थाओं को मदद में दे देते हैं। मदर टेरेसा के स्थापित 'सिस्टर्स आफ चैरिटी' उनमें से एक है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले। वह पुरस्कार राशियों को भी परोपकार के कार्यों के लिए अलग रखते थे। वह प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए डीआरडीओ के नियंत्रण में मौजूद सभी संसाधनों को एकत्रित करते।
पिता बनाते थे नाव :
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाबदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी, और न ही वे कोई धनी व्यक्ति थे। इनकी मां, आशियम्मा उनके जीवन की आदर्श थीं। वे 19वीं शताब्दी के मध्य में बने अपने पुश्तैनी घर में रहते थे। उनका घर रामेश्वरम् के प्रसिद्ध शिव मंदिर के करीब मस्जिदवाली गली में था। उनके पिताजी लकड़ी की नौकाएं बनाने का काम करते थे जो हिंदू तीर्थयात्रियों को रामेश्वरम् से धनुषकोटि ले जाती थीं।
कलाम की शिक्षा :
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम् के प्राइमरी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद आगे की स्कूली शिक्षा इन्होंने रामनाथपुरम् के श्वार्ट्ज हाई स्कूल से की। उन्होंने सन् 1950 में दक्षिण भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए मशहूर एक विशेष संस्थान मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) में दाखिला लिया। पहला साल पूरा करने के बाद वैमानिकी यानी एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपने विशेष विषय के रूप में चुना। एक प्रशिक्षु के रूप में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), बेंगलुरू चले गए। वहां इन्होंने टीम के एक सदस्य के रूप में विमान के इंजनों के अनुरक्षण पर काम किया।
भारत रत्न से सम्मानित :
डॉ. कलाम को भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया। अक्टूबर, 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के महानिदेशक के रूप में डॉ. कलाम को अनुसंधान व विकास में सभी प्रयोगशालाओं का मार्गदर्शन करने का संपूर्ण दायित्व प्राप्त हुआ। उन्हें सन् 1997 में भारत रत्न की उपाधि प्रदान की गई। भारत ने 11 तथा 13 मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में दूसरी बार कुल 5 सफल परमाणु परीक्षण किए। इसमें डॉ. कलाम की बड़ी ही अहम भूमिका थी।