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'चारवाहे से नाराज बकरी कसाई के पास चली गई'

लोकसभा चुनाव में बागपत जैसा अभेद्य दुर्ग ढह जाने के बाद किसान-स्वाभिमान रैली के बहाने मेरठ में रालोद अपना खोया वजूद तलाशने की कोशिश करता नजर आया। लेकिन यहां भी कभी भाजपा के साथ रहे नीतीश कुमार ही 'मोदी वाली भाजपा' से मुकाबले की रणनीति के आर्किटेक्ट नजर आए। इस मौके पर जद यू सांसद केसी त्यागी ने लोगों को नसीहत द

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 13 Oct 2014 09:14 AM (IST)Updated: Mon, 13 Oct 2014 09:24 AM (IST)

मेरठ। लोकसभा चुनाव में बागपत जैसा अभेद्य दुर्ग ढह जाने के बाद किसान-स्वाभिमान रैली के बहाने मेरठ में रालोद अपना खोया वजूद तलाशने की कोशिश करता नजर आया। लेकिन यहां भी कभी भाजपा के साथ रहे नीतीश कुमार ही 'मोदी वाली भाजपा' से मुकाबले की रणनीति के आर्किटेक्ट नजर आए। इस मौके पर जद यू सांसद केसी त्यागी ने लोगों को नसीहत दी कि चरवाहे से नाराज बकरी कसाई के पास चली गई। रैली स्थल पर ठहाके लगे तो चौधरी अजित सिंह ने केसी त्यागी से इस मुहावरे को फिर से बोलने के लिए कहा।

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राष्ट्रपति को देंगे ज्ञापन

सांसद केसी त्यागी ने बताया कि जल्द ही सहयोगी दलों के नेता और सांसद एक साथ एकत्र होकर राष्ट्रपति को ज्ञापन देंगे। शरद यादव इसके लिए विभिन्न दलों के नेताओं से वार्ता कर रहे हैं, जिसमें 12 तुगलक रोड को चौधरी चरण सिंह का स्मृति स्थल बनाने की मांग की जाएगी।

थर्ड नहीं फ‌र्स्ट फ्रंट है: नीतीश

लोकसभा चुनाव से ही मोदी से मुकाबिल नीतीश ने उदाहरण भी दिया कि सारे मतभेद भुलाकर हम लालू जी के साथ आ गए। मेरठ के बाईपास स्थित गायत्री मैदान में भी नीतीश पिछड़ा और समाजवादी राजनीति के एका की थाह लेते नजर आए। जब उनसे पूछा गया कि क्या यहां वह थर्ड फ्रंट की संभावना तलाश रहे थे तो उन्होंने कहा कि यह थर्ड फ्रंट नहीं, फ‌र्स्ट फ्रंट है।

गद्दी पर बैठे भ्रम और नफरत फैलाने वाले

नीतीश ने कहा कि भ्रम और नफरत फैलाने वाले गद्दी पर बैठ गए हैं। नीतीश ने साफ कहा कि अब इशारों और संकेत में बात करने का वक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि ढलान पर खड़े लोगों को जल्द संभलना पड़ेगा,नहीं तो कहा जाएंगे पता भी नहीं चलेगा। कहा कि अब इशारों में बात नहीं करनी चाहिए। मतभेद भुलाकर सभी को साथ आना होगा। गेंद सपा के पाले में डालते हुए कहा कि शिवपाल मुलायम सिंह जी से बात करें फैसला उन्हें करना है।

अन्य पार्टियों को दी नसीहत

वेस्ट यूपी की पंचायतों से उठी चिंगारी का हवाला देते हुए सवाल किया कि यह सब किसकी शह पर हुआ? उन्होंने किसानों के साथ-साथ मंच साझा करने वाली पार्टियों को नसीहत दी कि वह चौ. चरण सिंह की विरासत बचाने एवं उन्हें सम्मान देने के लिए गैर भाजपा मोर्चे का समर्थन करें। नीतीश ने कहा कि बिहार में भाजपा के बहुत सारे पूर्व मंत्री तमाम मंत्रिमंडल से बाहर होने के बाद भी बंगला नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन हमने किसी का बिजली पानी नहीं काटा।

नियम और राजनीतिक मर्यादा के बीच तालमेल बैठाना ही पड़ता है। क्या राजनीतिक विरोधियों के साथ वह सलूक किया जाएगा जो अजित के साथ किया गया। नीतीश ने साफ कहा कि ये तानाशाही नहीं है तो क्या है?

पढ़ें: देश में हो रही सिद्धांतविहीन राजनीति: नीतीश कुमार

अब अजित सिंह के साथ मंच साझा करेंगे शरद यादव


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