जयंती के इस्तीफे के साथ राहुल ने शुरू की सर्जरी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विधानसभा चुनावों के ताजा नतीजों के बाद राहुल गांधी की कमान में कांग्रेस के अंदर बदलाव की सर्जरी शुरू हो गई है। इस कड़ी में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने इस्तीफा देकर पार्टी की ओर रुख किया है। वहीं युवा ब्रिगेड के कई मंत्री भी इस कतार में है। ताजा फेर-बदल आम चुनाव से पहले पार्टी संगठन पर राहुल की अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विधानसभा चुनावों के ताजा नतीजों के बाद राहुल गांधी की कमान में कांग्रेस के अंदर बदलाव की सर्जरी शुरू हो गई है। इस कड़ी में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने इस्तीफा देकर पार्टी की ओर रुख किया है। वहीं युवा ब्रिगेड के कई मंत्री भी इस कतार में है। ताजा फेर-बदल आम चुनाव से पहले पार्टी संगठन पर राहुल की अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
राहुल की देखरेख में बदलाव की यह कसरत 17 जनवरी को जयपुर में होने वाली कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक से पहले पूरी कर ली जानी है। इसके तहत कांग्रेस शासित कई सूबों के मुख्यमंत्रियों के अलावा राज्य व केंद्रीय संगठन में भी बड़े पैमाने पर पत्ते फेंटे जाने हैं। सूत्रों के मुताबिक चुनावों से पहले ही पार्टी में बड़े ढांचागत बदलावों की तैयारी कर चुके राहुल ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पहले ही भरोसे में ले लिया है।
राहुल गांधी ने विधानसभा चुनावों के बाद बदलाव की तस्दीक करते हुए कहा कि हमें चुनावी नतीजों को विनम्रता और बिना किसी आदतन हीला-हवाली के साथ स्वीकारना होगा। राहुल शनिवार को फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित कर रहे थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कई बार विपरीत हालात के बाद खुद को खड़ा किया है। हम अपने आप को नया बनाएंगे।
बदलाव की इसी कोशिश का संकेत है कि जयंती नटराज ने पर्यावरण मंत्रालय से इस्तीफा देकर 2014 के चुनावी समर से पहले कांग्रेस नेताओं के सरकार छोड़ संगठन में लौटने का सिलसिला शुरू कर दिया है। जयंती नटराजन का इस्तीफा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीकार भी कर लिया है। पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी फिलहाल पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली को सौंपी गई है। संगठनात्मक जिम्मेदारियों के लिए सरकार से जयराम रमेश, सचिन पायलट, आरपीएन सिंह समेत कई युवा चेहरों की वापसी भी अगले कुछ दिनों में हो सकती है। इन्हें अपने प्रदेशों में चुनावी जिम्मेदारियों के साथ उतारा जाना है।
हालांकि मिशन परिवर्तन से पहले राहुल गांधी को पार्टी के भीतर पुराने क्षत्रपों को भी साधना होगा। लोकसभा चुनावों से पहले पुराने नेताओं के हाथ से जिम्मेदारियां नए हाथों में देना उनके प्रबंधन के लिए परीक्षा है। हालांकि पार्टी संगठन में बड़े ढांचागत बदलावों की धुन पकड़ चुके राहुल चुनावों से पहले ही इस बदलाव पर आमादा हैं। ताकि चुनावी नतीजे विपरीत रहने पर उनके लिए यह सर्जरी मुश्किल न बन जाए।
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