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'नेताजी के परिजनों की जासूसी कराते थे नेहरू'

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की खुफिया निगरानी की बात सामने आने के बाद नेताजी के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरे मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। बोस के परपोते चंद्र बोस ने स्पष्‍ट कहा कि जवाहर लाल नेहरू के निर्देश पर यह जासूसी हुई।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2015 10:47 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2015 10:24 AM (IST)
'नेताजी के परिजनों की जासूसी कराते थे नेहरू'

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं उनके परिवार की खुफिया निगरानी की बात सामने आने के बाद नेताजी के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरे मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। बोस के परपोते चंद्र बोस ने स्पष्ट कहा कि जवाहर लाल नेहरू के निर्देश पर यह जासूसी हुई, क्योंकि नेहरू को बोस से डर लगता था। उन्हें डर था कि बोस उनसे बड़े नेता बन सकते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि नेताजी की मौत किसी हवाई हादसे में नहीं हुई। चंद्र बोस ने आगे कहा, इस खबर के सामने आने के बाद उन्हें एवं उनके परिवार को गहरा धक्का लगा है। इस केस से संबंधित सारे दस्तावेज बाहर आने चाहिए।

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उधर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर सुबास चंद्र बोस की जासूसी करवाई गई तो क्या सरदार बल्लभ भाई पटेल को इस बात की जानकारी थी?

दरअसल, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने करीब दो दशकों तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करवाई थी। यह जानकारी नेशनल आर्काइव की गुप्त सूची से हाल ही में हटाई गईं इंटेलीजेंस ब्यूरो की दो फाइलों से मिली है। फाइलों से पता चला है कि 1948 से 1968 के बीच सुभाष चंद्र बोस के परिवार पर अभूतपूर्व निगरानी रखी गई थी।

इन 20 साल में से 16 साल तक नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। आईबी उन्हीं के अंतर्गत काम करती थी। फाइलों से मिली जानकारी के मुताबिक, बोस के कोलकाता स्थित दो घरों की निगरानी की गई। इनमें से एक वुडबर्न पार्क और दूसरा 38/2 एल्गिन रोड पर था। मेल टुडे में प्रकाशित खबर के अनुसार, बोस के घरों की जासूसी ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू की गई थी और नेहरू सरकार ने इसे दो दशक तक जारी रखा।

इंटरसेप्टिंग और बोस परिवार की चिट्ठियों पर नजर रखने के अलावा, आईबी के जासूसों ने उनकी स्थानीय और विदेश यात्रा की भी जासूसी की। ऐसा लगता है कि एजेंसी यह जानने को आतुर थी कि बोस के रिश्तेदार किससे मिलते हैं और क्या चर्चा करते हैं। हाथ से लिखे गए कुछ संदेशों से पता चला है कि आईबी के एजेंट बोस परिवार की गतिविधियों के बारे में आईबी हेडक्वार्टर में फोन करते थे। इस जगह हो 'सिक्योरिटी कंट्रोल' कहा जाता था।

हालांकि, इस जासूसी की वजह पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। आईबी ने नेताजी के भतीजों शिशिर कुमार बोस और अमिय नाथ बोस पर कड़ी निगरानी रखी। शरत चंद्र बोस के ये दोनों बेटे नेताजी के करीबी माने जाते थे। नेताजी की पत्नी एमिली शेंकल ऑस्ट्रिया में रहती थीं और शिशिर-अमिय ने उनके नाम कुछ चिट्ठियां भी लिखी थीं।

इस खुलासे से बोस परिवार हैरान है। बोस के पड़पोते चंद्रकुमार बोस ने कहा कि जासूसी उन लोगों की होती है, जिन्होंने कोई अपराध किया हो या जिनके आतंकियों से संबंध हों। सुभाष बाबू और उनके परिवार ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनकी जासूसी क्यों की गई?

लेखक और भाजपा प्रवक्ता एमजे अकबर कहते हैं कि इसका एकमात्र स्पष्टीकरण यही है कि कांग्रेस सुभाष चंद्र बोस की वापसी से डरी हुई थी। उन्होंने बताया कि बोस अब जिंदा हैं या नहीं, इस पर सरकार को पक्की जानकारी नहीं थी। सरकार ने सोचा होगा कि अगर वह जिंदा होंगे, तो कोलकाता में अपने परिवार से संपर्क जरूर करते होंगे।

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