जानें, पीएम मोदी का इजरायल दौरा क्यों है खास
पीएम नरेंद्र मोदी इजरायल के तीन दिन के ऐतिहासिक दौरे पर मंगलवार को रवाना होंगे। ये किसी भारतीय पीएम का पहला इजरायली दौरा होगा।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । पीएम मोदी के विदेशी दौरे हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन इजरायल का उनका दौरा खास है। मंगलवार से शुरू हो रहे दौरे की खासियत ये है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री के कदम इजरायल की धरती पर पहली बार पड़ेंगे। पीएम के दौरे से ठीक पहले इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा था कि मेरे दोस्त नरेंद्र मोदी का उनका देश बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने मोदी के आगमन को ऐतिहासिक भी बताया। लेकिन इन सबके बीच ये जानने की जरूरत है कि दोनों देशों के बीच संबंधों की बुनियाद कब रखी गई।
संबंधों की शुरुआत
1948 में भारत ने स्वतंत्र यहूदी राज्य के गठन का विरोध किया था। लेकिन 17 सितंबर 1950 को भारत ने इजरायल को सीमित मान्यता दी। इसके तुरंत बाद इजरायल ने तत्कालीन बंबई में अपना अप्रवासी कार्यालय खोला, जिसे बाद में व्यापार कार्यालय और फिर वाणिज्यिक दूतावास में बदल दिया। 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद इजरायल और भारत ने अपने दूतावास बनाए। यहीं से दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की नींव पड़ी।
दोनों देशों के रिश्तों में आएगी गर्माहट
दोनों देशों के बीच 25 साल पहले 1992 में राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई। कृषि से लेकर जल प्रबंधन, विज्ञान व तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देश एक दूसरे को सहयोग करते आए हैं। सैन्य मामलों में भारत और इजरायल के बीच साझेदारी है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी।
मददगार रहा इजरायल
इजरायल, भारत का मित्र देश रहा है। 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय इजरायल ने भारत को आधुनिक सैन्य तकनीक मुहैया कराई। 1999 के करगिल युद्ध के दौरान भारत की बोफोर्स तोपों के लिए अपने स्टॉक से गोला-बारूद भेजा। एक सैन्य जासूसी उपग्रह लीज पर देने के साथ भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को दो जासूसी विमान भी बेचे।
भारत-इजरायल में व्यापारिक रिश्ते
रक्षा और कृषि क्षेत्र दोनों देशों के संबंधों के मुख्य आधार हैं। सैन्य उपकरणों, कृषि और हीरे व जल प्रबंधन तकनीकों में व्यापार से दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 1992 में 20 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2016 में 4.5 अरब डॉलर हो गया। 2014 से 2016 के बीच भारत के लिए इजरायल तीसरा बड़ा हथियार निर्यातक देश बना रहा।
नई मिसाइलों की सौगात
भारत और इजरायल के बीच 1.5 अरब डॉलर के रक्षा समझौतों पर मुहर लगने की संभावना है। इसमें भारतीय सेना के लिए एंटी टैंक मिसाइल स्पाइक और एयर डिफेंस मिसाइल बराक-8 की खरीद शामिल है। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो साल में इजरायल भारत को आठ हजार मिसाइलें देगा। हाल ही में भारत ने इजरायल से जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें खरीदने के लिए दो अरब डॉलर का समझौता किया।
भारत को बेचे गए प्रमुख हथियार
हथियार | खासियत |
बराक-8 वीएलएस, बराक-1 | जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल |
ईएलएम-2238 स्टार | हवा और जमीन पर खोज करने वाला रडार |
फाल्कन | हवा में खतरे की चेतावनी देने और कंट्रोल करने वाला सिस्टम |
डर्बी | हवा से हवा में मार करने वाला मिसाइल |
हेरान, सर्चर, हारोप | मानव रहित ड्रोन |
स्पाइक-ईआर | एंटी गाइडेड वेपन |
भारत-इजरायल में हथियार सौदा
वर्ष | भारत के साथ सौदा |
2011-12 | भारत को 1261.21 करोड़ रुपये का हथियार बेचे |
2012-13 | 774.54 करोड़ रुपये के हथियार बेचे |
2013-14 | 1234.65 करोड़ रुपये के हथियार बेचे |
( लोकसभा में दिए गए जवाब के आधार पर)
कृषि क्षेत्र में सहयोग
इजरायल की धरती सामान्य तौर पर कृषि के लिए अनुकूल नहीं है। इसके बावजूद वो कृषि में समृद्ध है। तकनीक के इस्तेमाल से इजरायल ने अलग तरह की सब्जियों और फलों को उगाया है। खास बात ये है कि कृषि कार्यों के लिए पानी की कम जरूरत पड़ती हैं। इजरायल ने ऐसा आलू तैयार किया है जिसे गर्म वातावरण में भी उगाया जा सकता है। इतना ही नहीं खारे पानी से सिंचाई भी की जा सकती है। इन तकनीकों के जरिए भारत की खेती संवर सकती है।
जल प्रबंधन की सीख
जल प्रबंधन में भी इजरायल दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। उसने खारे पानी को मीठा पानी बनाने की तकनीक विकसित की है। जिसका फायदा भारत उठा सकता है। पीएम की इस यात्रा के दौरान भारत और इजरायल जल रणनीतिक साझेदार बनेंगे।
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