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मिशन 2019 को हासिल करने के लिए हो रही सरकार की सारी कवायद

मौजूदा समय में विकास की गति थोड़ी धीमी पड़ गई है, लेकिन इसमें तेजी लाई जा सकती है। इसलिए ताजे फेरबदल में कर्मठ एवं ऊर्जावान सिपहसालारों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 06 Sep 2017 11:46 AM (IST)Updated: Wed, 06 Sep 2017 11:46 AM (IST)
मिशन 2019 को हासिल करने के लिए हो रही सरकार की सारी कवायद

सतीश सिंह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं। यह तभी हासिल की जा सकती है जब सभी क्षेत्रों में बेहतर कार्य किए जाएं। मौजूदा समय में विकास की गति थोड़ी धीमी पड़ गई है, लेकिन इसमें तेजी लाई जा सकती है। इसलिए ताजे फेरबदल में कर्मठ एवं ऊर्जावान सिपहसालारों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, क्योंकि सकारात्मक दृष्टि एवं 24 घंटे और 365 दिन लक्ष्य को हासिल करने के लिए गतिशील रहने वाले मंत्री ही लक्षित उद्देश्य को हासिल कर सकते हैं।

इसी वजह से कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। जो मंत्री क्षमता एवं अनुभव में बेहतर थे उन्हें एक से अधिक मंत्रलय का कार्यभार सौंपा गया है। निर्मला सीतारामन को रक्षा मंत्रलय देकर प्रधानमंत्री ने महिला सशक्तीकरण के प्रति अपनी संजीदगी दिखाई है। सीतारामन देश की पहली पूर्ण महिला रक्षा मंत्री होंगी। अब वे सुषमा स्वराज के साथ कैबिनेट की सुरक्षा समिति में भी शामिल हो गई हैं। प्रधानमंत्री के इस कदम से दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ बढ़ने की संभावना है। अच्छे प्रदर्शन के कारण धर्मेद्र प्रधान, पीयूष गोयल और मुख्तार अब्बास नकवी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

बहुत सी महत्वपूर्ण परियोजनाएं लंबित हैं। इनको समय-सीमा के अंदर अमलीजामा पहनाने के लिए प्रशासनिक अनुभव की जरूरत थी। लिहाजा, मंत्रिमंडल में नौकरशाहों को शामिल किया गया है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह, पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी एवं पूर्व आइएएस अधिकारी अल्फांस कन्ननतनम को महत्वपूर्ण मंत्रलयों का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। पुरी को शहरी विकास और आवास का महकमा स्वतंत्र रूप से सौंपा गया है, जबकि राज कुमार सिंह ऊर्जा एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रलय का कार्यभार सभालेंगे। आज रोजगार और सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दों पर प्रभावी तरीके से कार्य करने की जरूरत है, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में प्रगति की रफ्तार बहुत ही धीमी है। कौशल विकास, आवास और शहरी मामले, बिजली,रेलवे आदि से जुड़ी परियोजनाओं पर भी गंभीरता से काम करने की जरूरत है। जाहिर है ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किए बिना इन क्षेत्रों में तेजी के साथ कार्य नहीं किए जा सकते हैं।

सुरेश प्रभु के कार्यकाल में रेल पटरी पर नहीं चल पा रही थी। इसकी वजह से सरकार की किरकिरी हो चुकी है। प्रधानमंत्री पीयूष गोयल की क्षमता और प्रतिभा को अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए इस मंत्रलय को गोयल के हवाले किया गया है। साथ ही उन्हें कोयला मंत्रलय की भी जिम्मेदारी दी गई है। यदि गोयल रेलवे में थोड़ा भी सुधार करने में सफल होते हैं तो उनपर प्रधानमंत्री और आमजन दोनों का भरोसा बढ़ेगा। आज की तारीख में गंगा पुनरुद्घार योजना को समय-सीमा के अंदर लागू कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि गंगा को पुनर्जीवित करने में अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है। इसी वजह से उमा भारती को अपने मंत्रलय से हाथ धोना पड़ा। उनके साथ संजीव बालियान एवं विजय गोयल को भी हटाया गया है। नितिन गडकरी को उमा भारती के मंत्रलय की जि़म्मेदारी दी गई है।

गंगा को स्वच्छ बनाने में गडकरी की मदद अजरुन राम मेघवाल एवं मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह मदद करेंगे। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रलय की कमान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धमेर्ंद्र प्रधान को दी गई है। पहले इस मंत्रलय का कामकाज राजीव प्रताप रूडी देख रहे थे, लेकिन वे अपेक्षित परिणाम देने में सफल नहीं रहे। प्रधान की सहायता कर्नाटक के अनंत कुमार हेगड़े करेंगे। नरेंद्र तोमर को खनन मंत्रलय दिया गया है, जबकि हरिभाई पार्थिभाई चौधरी खनन एवं कोयला दोनों मंत्रलयों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य करेंगे। गिरिराज सिंह राज्य मंत्री के रूप में लघु एवं मझौले उद्यम मंत्रलय का कार्यभार सभालेंगे, वहीं संतोष गंगवार को श्रम मंत्रलय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। कहा जा सकता है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल की मदद से प्रधानमंत्री विकास की गति को तेज करना चाहते हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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