आतंकवाद पर पाक एक बार फिर बेनकाब, मनी लांड्रिंग के जरिए अलगाववादियों को मदद
पाकिस्तान भले ही ये कहता हो कि वो आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता है। लेकिन बासेल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट उसके चेहरे से नकाब उतारने के लिए पर्याप्त है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। हाल ही में घाटी के दौरे पर गए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि नोटबंदी के बाद आतंकियों के आर्थिक स्रोतों पर लगाम लगाने में मदद मिली है। एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए ये जानकारी सामने आई कि श्रीनगर में बैठे अलगाववादी नेता अपने एसी कमरों में बैठकर पाकिस्तान समर्थित अातंकी संगठनों से पत्थरबाजी के एवज में पैसे लेते थे। इस मामले के संज्ञान में आने के बाद अलगाववादी नेताओं के ऊपर शिकंजा कसा जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच स्विट्जरलैंड की एक संस्था ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक पाकिस्तान भले ही अपने आप को पाक साफ कहता हो, लेकिन सच ये है कि वो मनी लॉन्ड्रिंग के आतंकी फंडिंग के जरिए भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
पाक एक बार फिर हुआ बेनकाब
आतंकियों की आर्थिक मदद करने पर पाकिस्तान का चेहरा फिर बेनकाब हुआ है। एक स्विस ग्रुप ने अपनी ताजा सूची में बताया कि आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शीर्ष 50 देशों की सूची में पाकिस्तान भी शामिल है। बासेल इंस्टीट्यूट ऑन गवर्नेंस ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की आर्थिक मदद करने के जोखिम को लेकर 146 देशों का आकलन किया। वर्ष 2017 के बासेल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) इंडेक्स में अफगानिस्तान, श्रीलंका और नेपाल को उच्च जोखिम वाला देश समझा गया है। स्विटजरलैंड के इस स्वतंत्र और गैर लाभकारी ग्रुप की 146 देशों की सूची में पाकिस्तान को 46वें पायदान पर रखा गया है। इस सूची में निम्न जोखिम वाले देश को शून्य और उच्च जोखिम वाले देश को दस अंक दिए गए।
बासेल की सूची के अनुसार, उच्च एएमएल के जोखिम वाले दस देशों में ईरान, अफगानिस्तान, गिनी बिसाऊ, तजाकिस्तान, लाओस, मोजाम्बिक, माली, युगांडा, कंबोडिया और तंजानिया हैं। जबकि तीन निम्न खतरे वाले देशों में फिनलैंड, लिथुआनिया और एस्तोनिया हैं। शीर्ष रैंक पाने वाले ईरान को 8.60 अंक और निम्न रैंक वाले फिनलैंड को 3.04 अंक मिले हैं। पाकिस्तान को 6.64 अंक दिए गए हैं, जो इस साल के औसत अंक 6.18 से ज्यादा है। दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका को क्रमश: 8.38, 7.57 और 7.15 अंक दिए गए। सूची में इनको क्रमश: दूसरे, 14वें और 25वें पायदान पर रखा गया है।
जानकार की राय
Jagran.Com से खास बातचीत में रक्षा मामलों के जानकार पीके सहगल ने कहा कि इसमें दो मत नहीं कि पाकिस्तान की धरती से आतंक का निर्यात हो रहा है। पाकिस्तान की जमीन से हवाला ऑपरेटर, ड्रग्स तस्कर कश्मीर में अलगाववादियों को मदद करते हैं। इसके अलावा यूएई में कंसर्ट के जरिए भी कश्मीर को अशांत करने के लिए अलगाववादियों को मदद दी जाती है। नोटबंदी के बाद पत्थरबाजी में कमी आई है, जिसके बाद आतंकियों और उनके आकाओं ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। आतंकियों के मददगार अब बड़ी मात्रा में लेनदेन से बच रहे हैं।
अलगाववाद के खिलाफ मुहिम
घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद पर लगाम लगाने के लिए उसकी फंडिंग के खिलाफ एनआइए का अभियान जारी है। इसके तहत घाटी में 20 और दिल्ली में सात स्थानों की तलाशी ली गई है। आतंकी फंडिंग के आरोप में एनआइए अभी तक 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
- कश्मीर में अब तक 20 और दिल्ली में सात स्थानों पर हुई छापेमारी
- सीमा पार से व्यापार करने वाले और हवाला कारोबारी निशाने पर
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि सीमा पार व्यापार की आड़ में और हवाला कारोबारियों की मदद से विदेश से आतंकी फंडिंग के लिए पैसे मंगाए जाते हैं। इस काम में दिल्ली और घाटी के कई व्यापारी और हवाला ऑपरेटर संलिप्त हैं। गहन छानबीन के बाद उनकी पहचान की गई और उनके घर और दफ्तरों की तलाशी ली गई। उन्होंने कहा कि छापे में 2.20 करोड़ रुपये नकद के साथ-साथ वित्तीय लेनदेन के कई अहम दस्तावेजी सबूत मिले हैं। छापे में बड़ी मात्रा में कंप्यूटर, हार्डडिस्क और मोबाइल फोन भी जब्त किये गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बरामद किये गए दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच की जाएगी और उसके आधार पर इन व्यापारियों व हवाला कारोबारियों से पूछताछ की जाएगी।
खुफिया एजेंसियां सीमा पार व्यापार और हवाला के मार्फत आतंकी फंडिंग की आशंका लंबे समय से जताती रही हैं, लेकिन कभी इसकी जांच नहीं की गई। पहली बार एनआइए का इनके खिलाफ शिकंजा कसा है। इसके पहले एनआइए सात हुर्रियत नेताओं के साथ-साथ घाटी के बड़े व्यापारी जहूर वटाली को गिरफ्तार चुकी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलगाववादियों के इशारे पर सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजों को इकट्ठा भी करते थे। इन दोनों के माध्यम से ही पत्थरबाजों को पैसे बांटे जाते थे।
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