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इस स्टेशन पर ट्रेन में बैठने के लिए 36 घंटे पहले से लगती है कतार

ये हजारों लोग दिवाली मनाने के लिए यूपी और बिहार जाना चाहते हैं। हजारों लोगों के साथ आरपीएफ के जवान भी मौजूद रहते हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 19 Oct 2017 08:57 AM (IST)Updated: Fri, 20 Oct 2017 05:39 PM (IST)
इस स्टेशन पर ट्रेन में बैठने के लिए 36 घंटे पहले से लगती है कतार

सूरत(ब्यूरो)। सूरत हिंदुस्तान का ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां ट्रेन में बैठने के लिए यात्री 36 घंटे पहले से प्लेटफॉर्म पर कतार लगाना शुरू कर देते हैं? यही नहीं, इसके बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यात्री ट्रेन में बैठने में सफल हो जाएगा। सूरत रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर ट्रेन में बैठने के लिए हजारों यात्री हर रोज उमड़ते हैं।

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ये हजारों लोग दिवाली मनाने के लिए यूपी और बिहार जाना चाहते हैं। हजारों लोगों के साथ आरपीएफ के जवान भी मौजूद रहते हैं। तब जाकर यात्रियों का ट्रेन में बैठना मुमकिन हो पाता है। यूपी-बिहार के लिए एकमात्र ट्रेन है ताप्ती गंगा सूरत रेलवे स्टेशन से उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए जाने वाली एकमात्र ताप्ती गंगा ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों के इस दर्दनाक सफर की तहकीकात की गई तो पता चला कि यात्री लोग ट्रेन में बैठने में 36 घंटे से लाइन लगाकर बैठे हैं।

पहले नंबर पर बैठे यात्री अरविंद ने बताया कि वह परिवार के साथ दिवाली और छठ पूजा मनाने अपने गांव बनारस जा रहा है। अरविंद ताप्ती गंगा ट्रेन में सफर करने के लिए ट्रेन आने के 36 घंटे पहले से कतार में लग गया है। 20 लाख उत्तर भारतीय रहते हैं गुजरात में दक्षिण गुजरात में बसने वाले करीब 20 लाख से अधिक उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए सूरत से जाने वाली रोज एकमात्र ताप्ती गंगा ट्रेन है, लेकिन इसमें सफर करना किसी युद्घ लड़ने से कम नहीं है। रात हो या दिन सर्दी हो या गर्मी, इसी हालात में यूपी और बिहार के लोग सूरत रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 पर बदहाली में बैठे रहते हैं।

ट्रेन की मांग को लेकर जारी है आंदोलन
दक्षिण गुजरात में बसने वाले यूपी और बिहार के लोगों को इस तकलीफ से निजात दिलाने के लिए सूरत की रेल संघषर्ष समिति पिछले कई महीने से आंदोलन चला रही है। मगर रेल मंत्रालय के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। बावजूद इसके संघर्ष समिति के नेता नई ट्रेन की मांग को लेकर आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे हैं।

बारह महीने हर मौसम में ऐसी ही तकलीफों का सामना कर सूरत से यूपी और बिहार तक वर्षो से सफर करने वाले इन लोगों को आरपीएफ के सहारे ट्रेन में चढ़ना पड़ता है। यहां हैं अधिकांश उत्तर भारतीय यूपी और बिहार के लाखों उत्तर भारतीय दक्षिण गुजरात के भरूच, अंकलेश्वर, सूरत, नवसारी, तापी, वलसाड और वापी में रहते हैं।

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