कमर्शियल सेटेलाइट की लॉन्चिंग में ISRO को मिल सकती है कड़ी चुनौती
विदेशी सेटेलाइट की लॉन्चिंग में विश्व में इसरो का बड़ा नाम है। लेकिन आने वाले समय में इसरो को स्पेस-एक्स चुनौती देने के लिए तैयार हो सकता है।
बेंगलुरु। विदेशी सेटेलाइट की लॉन्चिंग में इसरो अपनी कामयाबी का लोहा मनवा चुका है। लेकिन इसरो के राह में स्पेस-एक्स रोड़ा अटका सकता है। बताया जा रहा है कि कैलिफोर्निया बेस्ड स्पेस- एक्स ने नयी तकनीक के जरिए ये दावा किया है कि वो कम लागत में सेटेलाइट को लॉन्च कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो विदेशी सेटेलाइट के बाजार में इसरो को कड़ी चुनौती के लिए तैयार रहना होगा।
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स्पेस-एक्स का दावा
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक स्पेस -एक्स ने दावा किया है कि वो एक ही लॉन्चिंग पैड और रॉकेट को असेंबल कर दूसरे सेेटेलाइट को भी लॉन्च कर सकते हैं। जबकि इसरो में परंपरागत तौर पर एक सेटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद दूसरे लॉन्च पैड को तैयार करना पड़ता है। जिसकी वजह से कीमतों के साथ साथ दूसरे सेटेलाइंट की लॉन्चिंग में समय लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी स्पेस-एक्स से इसरो को किसी तरह की दिक्कत नहीं है लेकिन भविष्य को ध्यान में रखकर इसरो को तैयार होना पड़ेगा। स्पेस -एक्स का दावा है कि वो सफलतापूर्वक अपने कार्यक्रम को परख चुके हैं। जिसके बाद सेटेलाइट लॉन्चिंग के खर्चों में काफी कमी आएगी। हालांकि स्पेस-एक्स के दावों का परीक्षण होना बाकी है।
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इसरो की झोली में कामयाबी
विदेशी सेटेलाइट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग में इसरो पहले से ही मशहूर है। एरियाना स्पेस द्वारा ली गयी कीमतों की तुलना में इसरो महज 60 फीसद ही चार्ज करता है। 1999 से इसरो पीएसएलवी की मदद से 20 देशों के 57 सेटेलाइट को सफलतापूर्वक धरती की कक्षा में स्थापित कर चुका है। इसरो के विदेशी ग्राहकों में प्रमुख तौर से इएड़ीएस, आस्ट्रियम ,इंटेलसेट ,अवंतिग्रुप इन्मारसेट वर्ल्ड सेट, डीएलआर और कार्वी शामिल हैं।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों की राय
इसरो के पूर्व प्रोफेसर रोडम नरसिम्हा ने कहा कि तात्कालिक तौर पर इसरो को कोई खतरा नहीं है। लेकिन हमें भी रियुजेबल तकनीक पर ध्यान देना होगा। इसरो से ही जुड़े रहे पूर्व प्रोफेसर यू आर राव ने कहा कि फर्ज करिए कि कोई पैसेंजर जहाज रियुजेबल नहीं होता तो एक प्लेन के इस्तेमाले के बाद यात्रियों को उनके मंजिल तक पहुंचाने के लिए दूसरे जहाज का इस्तेमाल करना पड़ता है। इस हालात में समय भी जाया होता और विमान कंपनियों के खर्चे बढ़ जाते। और आखिर में इन सबका खामियाजा एयरलाइंस को उठाना पड़ता। ठीक वैसे ही अगर हम रियुजेबल तकनीक के इस्तेमाल में पीछे होंगे तो इसरो को आने वाले समय में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
क्या है स्पेस-एक्स की झोली में
स्पेस-एक्स की झोली में 10 बिलियम कॉन्ट्रैक्ट के 57 सेटेलाइट शामिल हैं। जिसमें कमर्शियल सेटेलाइट ( जो इसरो भी करता है) के साथ नासा का 1.6 बिलियन का कॉन्ट्रैक्ट शामिल है जिसमें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 12 कार्गो रिसप्लाई मिशन शामिल है। 2014 में इसरो के सबसे बड़े ग्राहक यूटेलसेट ने 2017 तक प्रति वर्ष 100 मिलियन डॉलर कम खर्च करने का फैसला किया था। इसके अलावा यूटेलसेट ने इसरो की जगह स्पेस-एक्स को वरीयता दी थी।