Move to Jagran APP

ट्रंप ने चुनाव को लेकर चला है जो दांव, भारतीय प्रोफेशनल्‍स के लिए है नुकसानदेह

एच-1बी वीजा को लेकर किया गया ट्रंप का फैसला भारतीयों के लिए झटका साबित हो सकता है। हालांकि ये उन्‍हें चुनाव में बढ़त जरूर दिलवा सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 10:21 AM (IST)
ट्रंप ने चुनाव को लेकर चला है जो दांव, भारतीय प्रोफेशनल्‍स के लिए है नुकसानदेह
ट्रंप ने चुनाव को लेकर चला है जो दांव, भारतीय प्रोफेशनल्‍स के लिए है नुकसानदेह

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के अब महज कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में वहां पर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इस चुनाव में जीतने के लिए हर संभव कोशिश करने में लगे हैं। हालांकि उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बहरहाल, उनके हाल में लिए एक फैसले ने भारत को काफी परेशान कर रखा है। ये फैसला राष्‍ट्रपति ट्रंप ने एच-1बी वीजा, एल-1 और अस्‍थाई वर्क परमिट समेत ग्रीन कार्ड जारी न करने को लेकर किया है। विदेश मामलें के जानकार मानते हैं कि ये फैसला ट्रंप को आगामी चुनाव में बढ़त दिलाने में सहायक साबित हो सकता है।

loksabha election banner

विपक्ष पर भारी पड़ सकता है फैसला

अमेरिका की राजनीति पर नजर रखने वाले ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर की राय में ये फैसला जहां उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है वहीं भारतीयों के लिए नुकसानदायक होगा। उनके मुताबिक अमेरिका हर वर्ष 85 हजार एच-1 बी वीजा जारी करता है। अब तक एच-1बी वीजा का सबसे अधिक इस्‍तेमाल भारतीय ही करते थे। हालांकि मौजूदा फैसला नए आवेदकों पर लागू होगा, लेकिन इसका सीधा असर आईटी से जुड़े पेशेवरों पर पड़ेगा। जहां तक उनके चुनाव में इस फैसले के असर की बात है तो उनके डेमाक्रेट प्रतिद्वंदी जो बिडेन अब तक अमेरिका में कोरोना महामारी के बीच छाई आर्थिक मंदी और लगातार बढ़ती बेरोजगारी पर कभी कोई बयान नहीं दिया है। प्रोफेसर पंत के मुताबिक ट्रंप का ये फैसला बिडेन पर भारी पड़ सकता है।

बेरोजगारी की दर सर्वाधिक

प्रोफेसर पंत की मानें तो महामारी के चलते अमेरिका में बेरोजगारी की दर आठ दशकों में सबसे अधिक है। वहीं एक रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि इस वर्ष अमेरिका की अर्थव्‍यवस्‍था 6-7 फीसद के बीच रह जाएगी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका में कोरोना महामारी के दौर में 2 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं। वहीं इस महामारी की बदौलत अमेरिका में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बीते पांच माह के दौरान इस महामारी ने अमेरिका को बुरी तरह से तोड़ कर रख दिया है। ऐसे में जानकार मानते हैं कि उनका ये फैसला कारगर साबित हो सकता है।

फैसले का विरोध

पंत का कहना है कि ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्‍ट्रपति का पद संभाला है तब से ही उन्‍होंने अमेरिका और अमेरिकन फर्स्‍ट की बात कही थी। ताजा फैसला भी उसकी ही एक कड़ी है। हालांकि उनके इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। उनकी मानें तो अमेरिका टेक्‍नॉलॉजी सेक्‍टर इस फैसले को लेकर काफी मुखर हो रहा हे। इस सेक्‍टर की तरफ से कहा जा रहा है कि ये नए इनोवेशन की राह को बाधित कर देगा, जिसकी वर्तमान में सबसे अधिक जरूरत है। जैसे-जैसे अमेरिका में चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे ही ट्रंप एक बार फिर अमेरिका-अमेरिकन फर्स्‍ट की नीति की तरफ जाते दिखाई दे र हे हैं।

भारत का आईटी सेक्‍टर और रोजगार

वहीं यदि भारत की बात करें तो सरकार की तरफ से कई बार इस मुद्दे को ट्रंप प्रशासन के सामने उठाया गया है। पंत की मानें तो नैसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का आईटी सेक्‍टर अमेरिका में चार लाख से अधिक नौकरियों में मददकरता है। 2010-15 के बीच में इस सेक्‍टर ने 20 अरब डॉलर से अधिक का योगदान अमेरिका में दिया है। यही वजह है कि भारत ने अप्रैल में भी इस मुद्दे पर दोबारा गौर करने के लिए अमेरिका से अपील की थी। प्रोफेसर पंत मानते हैं कि ये मुद्दा दोनों देशों के बीच सबसे महत्‍वपूर्ण नहीं है इसलिए इसका निपटारा बैक चैनल के माध्‍यम से ही होगा।

ये भी पढ़ें:- 

'मैं जानता था कि जो कुछ कर रहा हूं उसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी' जॉन बोल्‍टन

देखें कौन-सी है वो जगहें जहां चीन ने हथियाई है नेपाल की जमीन, दोस्‍त बनकर किया विश्‍वासघात

चीन को देना होगा उसकी ही भाषा में जवाब, काम कर सकती है Tit for Tat की नीति


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.