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सड़क को मात देने के लिए रेलवे ला रही 'रोडरेलर' सेवा

रोडरेलर उस वाहन को कहते हैं जो आवश्यकता के अनुसार सड़क और रेल की पटरी दोनो पर चल सकता है। रोडरेलर का प्रयोग अमेरिका में काफी अरसे से हो रहा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 12 May 2017 08:28 AM (IST)Updated: Fri, 12 May 2017 08:28 AM (IST)
सड़क को मात देने के लिए रेलवे ला रही 'रोडरेलर' सेवा

नई दिल्ली, संजय सिंह। सड़क से मुकाबले के लिए भारतीय रेल शीघ्र ही रोडरेलर के जरिए सामानों को ग्राहकों के दरवाजे तक पहुंचाना शुरू करेगी। सड़क क्षेत्र से बढ़ते खतरे से निपटने के लिए रेलवे माल की ढुलाई के नए तरीके ईजाद कर रही है। इसके लिए जहां सामान्य 'रोल-आन, रोल आफ' (रोरो) सेवा को नवीन डबल डेकर रोरो सेवा में परिवर्तित किया गया है, वहीं सामान को एक ग्राहक के दरवाजे से लेकर दूसरे ग्राहक के दरवाजे तक पहुंचाने के लिए इससे भी बेहतर रोडरेलर सेवा शुरू करने की तैयारी है।

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इस काम में निजी क्षेत्र के किर्लोस्कर समूह की मदद ली जा रही है, जिसने अमेरिका में अरसे से प्रयोग में लाई जा रही रोडरेलर की तकनीक और डिजाइन को भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाला है।

जैसा कि नाम से जाहिर है, रोडरेलर उस वाहन को कहते हैं जो आवश्यकता के अनुसार सड़क और रेल की पटरी दोनो पर चल सकता है। इसके लिए कंटेनर के आकार के ऐसे वाहनों का प्रयोग किया जाता है जिनमें पिछले पहिए ट्रक की तरह फिक्स किंतु जरूरत के मुताबिक, ऊपर-नीचे किए जा सकने वाले होते हैं, जबकि अगला हिस्सा डिटैचेबल ट्रक के रूप में होता है जो वाहन को फैक्ट्री या गोदाम से रेलवे टर्मिनल तक पहुंचाने और रेल बोगी के साथ अटैच करने का काम करता है।

रोडरेलर का प्रयोग अमेरिका में काफी अरसे से हो रहा है। गुजरात की किर्लोस्कर न्यूमैटिक कंपनी लिमिटेड (केपीसीएल) ने इसी के आधार पर भारतीय रेल के लिए रोडरेलर का नया डिजाइन तैयार किया है। केपीसीएल इसी के माध्यम से भारत में विशेष प्रकार की कंटेनर सेवाओं का संचालन करना चाहती है। इसके लिए उसने उत्तर रेलवे के साथ अनुबंध किया है, जिसके तहत केपीसीएल कंटेनर सेवाओं का संचालन के बदले रेलवे को निश्चित शुल्क के साथ लाभांश अदा करेगी। रोडरेलर सेवा को शुरू में दो साल के लिए दिल्ली-चेन्नई रूट पर चलाने का प्रस्ताव है। बाद में कामयाबी के आधार पर इसके लिए अन्य रूट भी चुने जा सकते हैं।

रोडरेलर बोगियों से तैयार ट्रेने सामान्य कंटेनर ट्रेनों की भांति 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं। एक रोडरेलर ट्रेन में 52 रोडरेलर बोगियां होंगी। प्रत्येक बोगी की एक्सल लोड क्षमता 20.3 टन तथा पे लोड क्षमता 27.3 टन होगी। समझौते के तहत रोडरेलर बोगियों का रखरखाव रेलवे करेगी। ग्राहक का सामान नियत ग्राहक तक पहुंचे, इसके लिए केपीसीएल की ओर से प्रत्येक बोगी को एकविशिष्ट पहचान नंबर यानी (बोगी आइडेंटीफिकेशन नंबर-बीआइएन) प्रदान किया जाएगा। इस नई सेवा के कुशल संचालन के लिए कर्मचारियों को बाकायदा प्रशिक्षण देने की योजना है।

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