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अपने बूते सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट तैयार कर रही भारतीय रेल

पहला ट्रेनसेट अगले साल मार्च तक तैयार होने की आशा..

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 10:21 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 10:21 PM (IST)
अपने बूते सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट तैयार कर रही भारतीय रेल
अपने बूते सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट तैयार कर रही भारतीय रेल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेशी कंपनियों के साथ बात बनती न देख रेलवे ने अब अपने बल पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनसेट बनाने का निर्णय लिया है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने इसकी जिम्मेदारी ली है। वह चालू वित्तीय वर्ष के दौरान दो ट्रेन सेट (एक ट्रेन सेट में 16 कोच वाली एक ट्रेन तैयार होगी) का उत्पादन करेगी।

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सेमी हाईस्पीड के लिए रेलवे को 160 किलोमीटर से 200 किलोमीटर तक की रफ्तार वाली सेल्फ प्रोपेल्ड बोगियों की जरूरत है। इस तरह की बोगियों को खींचने के लिए इंजन की आवश्यकता नहीं होती। इनमें अपनी स्वयं की मोटर होती है जो बिजली या डी़जल से चलती है। ठीक वैसे जैसे मेमू, डेमू या मेट्रो ट्रेन की बोगियां होती हैं। इन्हें दोनो दिशाओं में तुरंत पूरी रफ्तार पर चलाया जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां मेमू, डेमू या मेट्रो की बोगियों का उपयोग छोटी उपनगरीय ट्रेनों के लिए होता है, जिनमें अधिकतम स्पीड सीमित होती है। वहीं ट्रेन सेट्स का उपयोग लंबी दूरी की ट्रेनों में किया जाता है जिनकी रफ्तार राजधानी व शताब्दी ट्रेनों से भी ज्यादा होती है।

ऐसा नहीं है कि भारतीय रेलवे के पास 160 किलोमीटर की स्पीड वाली कोई लंबी दूरी की ट्रेन नहीं है। गतिमान एक्सप्रेस इसी स्पीड पर चलती है। परंतु इंजन का उपयोग होने के कारण इसे पूरी रफ्तार पकड़ने और रुकने में समय लगता है। इससे समय की काफी बर्बादी होती है। जबकि लंबी दूरी की ट्रेनों में समय की यह बर्बादी घंटों का फर्क पैदा कर देती है। गतिमान एक्सप्रेस में यदि इन ट्रेन सेट्स का प्रयोग किया जाए तो दिल्ली से आगरा की दूरी 20 मिनट पहले पूरी हो सकती है। यदि इसे दिल्ली से मुंबई या दिल्ली से कोलकाता के बीच चलाया जाए तो डेढ़ घंटे से ज्यादा की बचत हो सकती है।

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) ने इस परियोजना को ट्रेन-2018 अथवा टी-18 नाम दिया है। इस पर तेजी से काम चल रहा है और पहला ट्रेन सेट अगले साल मार्च तक तैयार होने की आशा है। इसका उपयोग दिल्ली-लखनऊ या दिल्ली चंडीगढ़ के बीच होने की संभावना है।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 200 करोड़ रुपये लागत वाली इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत फिलहाल दो ट्रेन तैयार किए जा रहे हैं। तीव्र गति के अलावा ट्रेन सेट में आटोमैटिक डोर, बड़ी खिड़कियां, शानदार सीटें, बायो टायलेट, स्मोक डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरों जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं एवं खूबसूरत आंतरिक साजसज्जा से युक्त होंगी।

रेलवे ने 2015 में 15 ट्रेन सेट्स के भारत में निर्माण के लिए वैश्रि्वक निविदाएं मांगी थीं। पांच कंपनियों ने रुचि भी दिखाई। मगर कोई भी कंपनी इतनी कम बोगियों के लिए कारखाना लगाने को राजी नहीं थी। बाद में रेलवे ने ट्रेन सेट्स की संख्या में कुछ इजाफा भी किया। मगर बात तब भी नहीं बनी।

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