क्यों मुलायम सिंह को लगता है चीन कभी भी कर देगा भारत पर बड़ा हमला
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने चीन के रुख को देखते हुए सरकार से पूछा है कि चुनौती से निपटने के लिए आखिर क्या हैं इंतजाम।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। सिक्किम और भूटान से लगते डोकलाम इलाके पर जिस तरह आज भारत और चीन आमने-सामने हैं उसके चलते न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी चिंतित है, बल्कि राजनेता भी लगातार चिंता जाहिर कर रहे हैं और चीन को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। चीन के खिलाफ कड़ा रुख रखने वाले समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने ऐसा दावा किया कि चीन भारत के ऊपर पाकिस्तान के साथ मिलकर हमला करने के लिए पूरी तरह से तैयार था।
मुलायम सिंह ने सरकार से तिब्बत पर अपने रुख में बदलाव लाने की अपील करते हुए उसे स्वंतत्र करने का मुद्दा उठाने को कहा। अब ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जहां एक तरफ लगातार सरकार ये बात कह रही है चीन के साथ सभी मामलों को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझा लिया जाएगा तो वहीं पूर्व रक्षामंत्री को इस तरह का अंदेशा क्यों है कि चीन हम पर हमला कर देगा? क्योंकि उन्होंने सरकार से यह भी पूछा है कि चीन से मुकाबले के लिए हम कितना तैयार हैं, इस बात का सरकार को जवाब देना चाहिए।
पाक-चीन मिलकर करेंगे हमला- मुलायम
मुलायम सिंह ने भारत और चीन के बीच बढ़ती तल्खी को लेकर मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में सरकार से पूछते हुए कहा कि उन्हें संसद को यह बताना चाहिए कि पड़ोसी देशों से जो चुनौतियां मिल रही हैं, उनसे निपटने के लिए सरकार ने क्या किया है? उन्होंने आगे कहा कि भारत आज चीन से बड़े ख़तरे की चुनौती का सामना कर रहा है।
मुलायम ने कहा कि मैं केन्द्र सरकार को पिछले कई वर्षों से लगातार चेताते आ रहा हूं। चीन ने पाकिस्तान से साथ अपना हाथ मिला लिया है। इसने भारत पर हमले की अपनी पूरी तैयारी कर ली है। शून्यकाल के दौरान बोलते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि चीन भारत का सबसे बडा़ दुश्मन है। सरकार ने क्या किया? कश्मीर में चीन की सेना लगातार पाकिस्तान के सुरक्षा जवानों का सहयोग कर रही है।
चीन ने पाकिस्तान में रखा परमाणु हथियार
मुलायम सिंह ने आगे कहा कि भारत को अपना निशाना बनाने के लिए चीन ने अपने परमाणु हथियार को पाकिस्तान में रखा हुआ है। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि इस बात को बेहतर तरीके से भारतीय खुफिया एजेंसी जानती होंगी। मुलायम ने तिब्बत को भारत की ओर से चीन का हिस्सा मानने को बड़ी गलती करार दिया और कहा कि अब वक्त आ गया है तिब्बत की आजादी के समर्थन का। उन्होंने कहा कि चीन हमारा दुश्मन है नकि पाकिस्तान। पाकिस्तान हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। ऐसी स्थिति में भारत का यह दायित्व है कि वो भुटान की रक्षा करे। लेकिन, ऐसा नहीं है कि ऐसी बात कहने वाले सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही है।
डोकलाम पर चीन का रुख असामान्य रूप से आक्रामक- विदेश सचिव
मुलायम सिंह की बातों की पुष्टि एक दिन पहले विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संसदीय समिति को जानकारी देते हुए की। उन्होंने हाल के डोकलाम विवाद पर चीन के रुख को असामान्य रूप से आक्रामक और मुखर बताया है। विदेश सचिव ने मंगलवार को विदेश मामलों की संसदीय समिति को यह जानकारी दी। जयशंकर ने कहा कि भारत तनाव को खत्म करने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिये चीन के संपर्क में है। उन्होंने कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति को बताया कि भारत ने सीमा को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। इस मामले में चीन का अपना रुख है, लेकिन वह इसकी गलत व्याख्या कर रहा है।
बैठक में मौजूद समिति के कुछ सदस्यों ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर यह जानकारी दी। समिति के सदस्यों के मुताबिक, जयशंकर ने कहा कि भारत 1895 के एंग्लो-चाइनीज समझौते के समय के ही रुख पर कायम है। उन्होंने कहा, ‘यह गतिरोध असामान्य है, लेकिन जटिल नहीं है जैसा कि कुछ हलकों में बताया जा रहा है। विदेश सचिव ने आगे कहा कि चीन के साथ राजनयिकि चैनलों के जरिए संपर्क कायम रखेंगे। जाहिर है दोनों देशों के बीच बढ़ी इस तल्खी के बाद रक्षामंत्री अरुण जेटली के उस बयान को भी समझा जा सकता है, जिसमें उन्हें कहा था कि यह 1962 का भारत नहीं है।
1962 और 2017 के भारत-चीन में कितना आया बदलाव
अब आईये आपको बताते हैं आपको 1962 के और 2017 के भारत-चीन सैन्य क्षमता में कितना बदलाव आया है। आज हम कहां खड़े हैं और किस तरह चीन से हमला होने पर उसका मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।
चीनी चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर चुका है भारत
-1967 में नाथू ला पर चीनी सैनिकों को खदेड़ा था। 1962 की लड़ाई में जीत का जश्न मना रहे चीनी हुक्मरानों ने ऐसा सोचा भी नहीं था। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भारतीय फौज इतना कड़ा प्रतिवाद कर सकती है।
-1987 में तवांग (अरुणाचल) के सोमदोरुंग में चीन की नापाक हरकत का सेना ने जवाब दिया। सेना के जवान उन इलाकों से हटे नहीं बल्कि डटे रहे।
चीन की सामरिक मजबूरी
- मौजूदा समय में चीन दक्षिण चीन सागर समेत कई मोर्चों पर घिरा हुआ है।
- ताइवान और तिब्बत मुद्दे पर चीन को नए दुश्मनों का सामना करना पड़ सकता है।
- झिंगझियांग प्रांत में चीन को अलगाववादियों का सामना करना पड़ रहा है।
- चीन की वन बेल्ट, वन रोड योजना पर असर पड़ सकता है।
- दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा।
भारत के लिए चिंता की वजह
- पाक सीमा पर लगातार तनाव की वजह से चीन के साथ संघर्ष करना आसान नहीं।
- एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए चीन का समर्थन जरूरी
- चीन के मुकाबले सैन्य क्षमता में कमी।