देसी ड्रोन करेगा सीमा की निगहबानी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर नियंत्रित ऐसा मानव रहित छोटा एयरक्राफ्ट (ड्रोन) बनाने में सफलता पाई है जो सीमा की तो निगहबानी करेगा ही, दंगा नियंत्रण में भी प्रशासन का सहयोग करेगा। उसके सफल परीक्षण से वैज्ञानिक उत्साहित हैं। आइआइटी कानपुर को यह प्रोजेक्ट इस साल 14
कानपुर, [डा. सुरेश अवस्थी]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर नियंत्रित ऐसा मानव रहित छोटा एयरक्राफ्ट (ड्रोन) बनाने में सफलता पाई है जो सीमा की तो निगहबानी करेगा ही, दंगा नियंत्रण में भी प्रशासन का सहयोग करेगा। उसके सफल परीक्षण से वैज्ञानिक उत्साहित हैं। आइआइटी कानपुर को यह प्रोजेक्ट इस साल 14 जनवरी को मिला था और उसने एयरक्राफ्ट का प्रोटोटाइप तैयार करके अगस्त के पहले सप्ताह में सफलतापूर्वक परीक्षण भी कर लिया। एयरोस्पेस इंजीनियर प्रो. एके घोष के नेतृत्व में इंडस्ट्रीयल मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दीपू फिलिप व उनकी टीम ने आइआइटी व प्रभु गोयल फाउंडेशन के आर्थिक सहयोग से इसका सफल परीक्षण किया।
विमान की खासियत
यान में शक्तिशाली वीडियो कैमरा है जो नियंत्रण कक्ष में पूरे क्षेत्र की वीडियो फिल्म भेजता है। कार पर रख कर कहीं भी ले जा सकने वाले इस क्राफ्ट को निश्चित समय बाद वापस बुलाया जा सकता है। यह अपने उड़ान क्षेत्र को पूरी तरह से कवर करता है। हालांकि ऐसे लघु एयरक्राफ्ट अमेरिका में बनाए जा चुके हैं परंतु भारत में यह पहला अवसर था, जब सफलता पूर्वक ऐसे ड्रोन का परीक्षण हुआ।
यहां भी हो सकता है उपयोग
यह विमान सीमा पर तीन किमी की परिधि में घुसपैठ की तस्वीरें भेज सकेगा। नक्सलियों व आतंकियों के अड्डों को लक्ष्य किया जाए तो उनकी गतिविधियों को कैद कर सकेगा। फसलों की स्थिति की जानकारी मिलेगी। जुलूस, भीड़ आदि की निगरानी की जा सकती है।
प्रोफाइल
* 3.3 मीटर है लंबाई।
* 1000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
* 93.6 किमी प्रति घंटा है अधिकतम गति।
* 24 घंटे तक रह सकता है आसमान में।
* 20 किलोग्राम है वजन।
* 10-15 लाख रुपये निर्माण में लागत।