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    नेपाल राजनेताओं के बयानबाजी का मुद्दा उठाएगा भारत

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Fri, 16 Oct 2015 06:31 PM (IST)

    नेपाल सरकार के कुछ लोगों ने जिस तरह से पिछले कुछ दिनों के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को हवा दी है उससे भारत को गहरी ठेस पहुंची है। इस बात को अगले हफ्ते जब भारत की यात्रा पर नेपाल के नवनियुक्त उप प्रधानमंत्री व विदेशी मंत्री कमल थापा आएंगे तो

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेपाल सरकार के कुछ लोगों ने जिस तरह से पिछले कुछ दिनों के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को हवा दी है उससे भारत को गहरी ठेस पहुंची है। इस बात को अगले हफ्ते जब भारत की यात्रा पर नेपाल के नवनियुक्त उप प्रधानमंत्री व विदेशी मंत्री कमल थापा आएंगे तो उनके सामने बगैर किसी लाग लपेट के रखा जाएगा।

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    थापा श्री केपी शर्मा ओली की अगुवाई में नवगठित नेपाल सरकार के न सिर्फ अहम सदस्य है बल्कि भारत के साथ बातचीत के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष भी हैं। वह शनिवार को भारत पहुंचेगे।

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत नेपाल के विदेश मंत्री के साथ हर मुद्दे और खास तौर पर हाल के दिनों में तनाव भरे माहौल व इसकी वजहों के बारे में बात करेगा। लेकिन नेपाल को यह बताने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी कि किस तरह से नेपाल सरकार को समर्थन देने वाले कुछ तत्व लगातार भारत विरोधी भावनाओं को हवा देने में लगे हुए हैं।

    दोनों देशों को यह याद रखना चाहिए कि किस तरह से कुछ वर्ष पहले जब वहां भारत विरोधी भावनाओं ने जड़ जमाया था तो द्विपक्षीय रिश्तों को काफी क्षति पहुंची थी। भारत नहीं चाहता कि वैसी स्थिति फिर से पैदा हो। सनद रहे कि जब से मधेसी मुद्दे को लेकर भारत व नेपाल सीमा पर तनाव फैला है तब से नेपाल के कई राजनीतिक दलों ने भारत के खिलाफ खूब बयानबाजी की है।

    नेपाल सरकार के कुछ सदस्यों ने भारत को चीन की धमकी भी दी है कि अगर भारत सामानों की आपूर्ति नहीं करता है तो वह चीन से सामान लेने को तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक नेपाल संविधान में प्रस्तावित संशोधन प्रक्रिया को लेकर भारत के जो विचार हैं उसे भी पूरी मजबूती से रखा जाएगा। भारत को भरोसा है कि नेपाल सरकार संविधान संशोधन को लेकर भारत के हर सुझाव को अंतत: शामिल करेगी।

    नेपाल सरकार पिछले कुछ दिनों में भारत के दो सुझावों को संविधान संशोधन में शामिल कर चुकी है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कल गुरुवार को बताया था कि भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद नेपाल सीमा पर मधेसी आंदोलन की वजह से ट्रकों की आवाजाही सामान्य नहीं हो पा रही है। भारत व नेपाल के बीच वाणिज्यिक ट्रकों के आने जाने के लिए नौ मार्गो का इस्तेमाल होता है।

    अभी भी पांच से छह मार्गो का इस्तेमाल हो रहा है। बुधवार और गुरुवार को लगभग 750 भारतीय ट्रक सामान लेकर नेपाल भेजे गये हैं। हालांकि रक्सौल सीमा पर हजारों ट्रक सामान ले कर खड़े हैं और उन्हें स्थिति के सामान्य होने का इंतजार करने को कहा गया है।