महिला सशक्तीकरण के मामले में भारत सबसे पीछे
महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के मामले में भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों में सबसे निचले पायदान पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक लैंगिक समानता की कसौटी पर भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे है। यह सच्चाई एक ताजा सर्वे से उजागर हुई है।
नई दिल्ली। महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के मामले में भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देशों में सबसे निचले पायदान पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक लैंगिक समानता की कसौटी पर भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे है। यह सच्चाई एक ताजा सर्वे से उजागर हुई है।
मास्टरकार्ड की ओर से जारी ताजा महिला सशक्तीकरण सूचकांक में भारत की यह स्थिति सामने आई है। इस सूचकांक के तहत पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से संबंधित विभिन्न मानकों पर आधारित आकलन किया गया है। इंडेक्स यानी सूचकांक रिपोर्ट में कहा गया कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में लैंगिक समानता का अभाव है और इस दिशा में काफी प्रगति की जरूरत है।
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रिपोर्ट में कहा गया कि यद्यपि इस क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा शिक्षित हो रही हैं, लेकिन लैंगिक समानता का अभी भी अभाव है, खासकर कारोबारी नेतृत्व, कारोबारी स्वामित्व और राजनीतिक भागीदारी के मामले में। पूरे क्षेत्र में न्यूजीलैंड में महिला सशक्तीकरण की स्थिति सबसे बेहतर है। इंडेक्स में इस देश को 77 अंक प्राप्त हुए, जबकि 76 अंकों के साथ ऑस्ट्रेलिया दूसरे, 72.6 अंक के साथ फिलीपींस तीसरे और 70.5 अंक के साथ सिंगापुर चौथे स्थान पर रहा।
वहीं 44.2 अंक प्राप्त करके भारत, पड़ोसी देशों बांग्लादेश और श्रीलंका से भी पीछे रहा। इस इंडेक्स में बांग्लादेश को 44.6 और श्रीलंका को 46.2 अंक हासिल हुए। रिपोर्ट के मुताबिक इंडेक्स में 50 से कम अंक हासिल करने वाले देशों को लैंगिक समानता के पहलू पर काफी काम करने की जरूरत है।
मास्टरकार्ड के ग्रुप हेड जॉर्जेट टैन ने कहा कि बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में कंपनियां टिकाऊ विकास हासिल करने के लिए यह समझने का लगातार प्रयास कर रही हैं कि अपने नेतृत्व में कुशल महिलाओं को किन तरीकों से जोड़ा जाए।