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देश के 'नए' एक चौथाई गरीब उत्तर प्रदेश से

देश में गरीबों की संख्या बढ़ी है तो उसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम रही है। रंगराजन समिति के जिस फार्मूले के तहत देश में गरीबों की तादाद में करीब 10 करोड़ का इजाफा बताया गया है उसमें करीब ढाई करोड़ अकेले उत्तर प्रदेश से आए हैं। इस गणना के बाद उत्तर प्रदेश में अब गरीबों की संख्या

By Edited By: Published: Mon, 07 Jul 2014 08:12 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jul 2014 08:32 PM (IST)

नई दिल्ली। देश में गरीबों की संख्या बढ़ी है तो उसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम रही है। रंगराजन समिति के जिस फार्मूले के तहत देश में गरीबों की तादाद में करीब 10 करोड़ का इजाफा बताया गया है उसमें करीब ढाई करोड़ अकेले उत्तर प्रदेश से आए हैं। इस गणना के बाद उत्तर प्रदेश में अब गरीबों की संख्या 8.09 करोड़ पहुंच गई है। जबकि तेंदुलकर समिति के अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2011-12 में 5.9 करोड़ गरीब थे।

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संप्रग सरकार के आखिरी वक्त में गठित रंगराजन समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में गरीबी को लेकर तेंदुलकर समिति के आंकड़ों को खारिज करते हुए देश में गरीबों की संख्या का नया आंकड़ा दिया है। इसके मुताबिक देश में गरीबों की संख्या में करीब दस करोड़ का इजाफा हुआ है। रंगराजन फार्मूले के मुताबिक गरीबों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश की रफ्तार सबसे तेज रही है। यहां कुल आबादी के करीब 40 फीसदी गरीब हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश और बिहार में भी गरीबों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में गरीबों की आबादी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में बसता है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की संख्या करीब छह करोड़ है। जबकि दो करोड़ से कुछ अधिक गरीब राज्य के शहरी क्षेत्रों में बसते हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अगर आबादी के फीसद के हिसाब से देखें तो प्रदेश के शहरी क्षेत्र में ज्यादा गरीब बसते हैं। रंगराजन समिति के फार्मूले के मुताबिक शहरों की आबादी का 45.7 फीसद हिस्सा गरीब है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र की कुल आबादी में गरीबों का प्रतिशत 38 है।

देश में गरीबों की संख्या को लेकर हुए विवाद के बाद संप्रग सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन डॉ. सी रंगराजन को दुबारा इनकी संख्या का अनुमान लगाने का काम सौंपा। इससे पहले तेंदुलकर समिति ने साल 2011-12 के लिए देश में 26.9 करोड़ गरीब होने का अनुमान लगा संप्रग सरकार के सिर गरीबों की संख्या कम करने का सेहरा बांधा था। जबकि रंगराजन समिति के मुताबिक देश में गरीबों की संख्या 36 करोड़ से अधिक है।

पढ़ें : मनमोहन सरकार ने छुपाए गरीब, संख्या बताई कम


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