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भारत की एंटी रेडिएशन मिसाइल से घबराया चीन, सुखोई-30 एमकेआइ स्क्वाड्रन का होगी हिस्‍सा

रूद्रम-1 मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत ने लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक हासिल करने में लंबी छलांग लगाई है। इस सफल परीक्षण से देश की रक्षा और तकनीकी क्षमता दोनों में ही इजाफा हुआ है। ये एक एंटी रेडिएशन मिसाइल है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 07:52 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 12:57 PM (IST)
भारत की एंटी रेडिएशन मिसाइल से घबराया चीन, सुखोई-30 एमकेआइ स्क्वाड्रन का होगी हिस्‍सा
एंटी रेडिएशन मिसाइल है रूद्रम-1 (फाइल फोटो)

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव। भारतीय वायु सेना ने हाल ही में सुखोई-30 एमकेआइ युद्धक विमान से अत्याधुनिक व नई पीढ़ी की विकिरण रोधी मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया है। भारत में इस श्रेणी की यह पहली मिसाइल है, जिसे खासतौर पर वायु सेना के लिए बनाया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रुद्रम मिसाइल को ओडिशा के बालासोर में एकीकृत परीक्षण रेंज से परीक्षण प्रक्षेपण किया गया। इसने पूरी सटीकता के साथ विकिरण लक्ष्य पर निशाना साधा। इस परीक्षण से लंबी दूरी तक हवा में प्रहार करने वाली विकिरण रोधी मिसाइलें विकसित करने की क्षमता भारत को हासिल हो गई है। पहली एंटी रेडिएशन मिसाइल के विकास के साथ ही भारत ने मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में एक लंबी और ऊंची छलांग लगाई है।

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अब भारत अमेरिका, रूस एवं जर्मनी के क्लब में शामिल हो गया है। इस मिसाइल का उड़ान परीक्षण ऐसे समय में किया गया है, जब भारत का लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है। इससे चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि इसे वर्ष 2017 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन शुरू में इसके विकास की गति धीमी रही, जिस कारण इसके निर्माण में विलंब हुआ। बाद में इसके विकास ने गति पकड़ी तथा भारतीय वायु सेना ने भी इसके विकास में रूचि दिखानी प्रारंभ की। इसका प्रथम परीक्षण 2017 में पहले कर लिया गया जो पूर्णतया सफल रहा था। यह परीक्षण सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान के जरिये 6.5 किमी की ऊंचाई से 987 किमी प्रति घंटे की गति से किया गया था। फिर यह मिसाइल कई तकनीकी परीक्षणों से गुजरी और सफलता के मुकाम को हासिल किया।

एंटी रेडिएशन मिसाइलें जब वायु सेना में शामिल होने के लिए तैयार होंगी तब इन्हें सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमानों के एक स्क्वाड्रन के साथ जोड़ा जाएगा। इसके बाद इन्हें अन्य विमानों में तैनात किया जाएगा। एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 को मुख्य रूप से दुश्मन की हवाई सुरक्षा दीवारों को तोड़ने एवं नष्ट करने के लिए विकसित किया गया है। रुद्रम-1 भारतीय वायु सेना के शस्त्रगार की अत्याधुनिक किस्म की नई और अनोखी मिसाइल होगी। इस मिसाइल को किसी भी मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल में एक खास तरह का जीपीएस लगा है जो इसे विशेष बना देता है। सामान्य रूप में इसकी हमला करने की क्षमता 100 से 150 किमी दूरी तक की है। इस मिसाइल को 500 मीटर से लेकर 1,500 मीटर की ऊंचाई से दागा या छोड़ा जा सकता है।

इन ऊंचाइयों से यह मिसाइल 150 किमी की दूरी तक स्थित लक्ष्यों पर अभेद्य निशाना लगाने में सक्षम है। यह मिसाइल शत्रु को आसमान में ही मात देने की आक्रामक क्षमता रखती है। इस मिसाइल से दुश्मन के सíवलांस राडार, ट्रैकिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। इस मिसाइल की रेंज को अलग-अलग परिस्थितियों में बदला जा सकता है। इस तरह यह मिसाइल दुश्मन के हवाई ठिकानों को पलक झपकते ही पूरी तरह से तबाह करने की क्षमता रखती है। भविष्य में इसे मिराज-2000, जगुआर और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकेगा। इन पर सवार होकर रुद्रम दुश्मनों का काल बनेगी। सीमा क्षेत्रों से दागने पर यह मिसाइल चीन व पाकिस्तान के सामरिक एवं अन्य महत्वपूर्ण इलाकों को भारी नुकसान पहुंचाएगी।

(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं)

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