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रिश्तों में नई गर्माहट लाना चाहते हैं भारत व ब्रिटेन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवंबर, 2015 में होने वाली ब्रिटेन यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों को नया आयाम देने वाला साबित हो सकता है। ब्रिटेन की डेविड कैमरुन सरकार भारत में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं

By Sudhir JhaEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2015 09:09 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2015 09:40 PM (IST)
रिश्तों में नई गर्माहट लाना चाहते हैं भारत व ब्रिटेन

नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवंबर, 2015 में होने वाली ब्रिटेन यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों को नया आयाम देने वाला साबित हो सकता है। ब्रिटेन की डेविड कैमरुन सरकार भारत में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ने की कोशिश में जुटी है। कैमरुन सरकार के कई प्रतिनिधि यह स्वीकार कर चुके हैं कि वह बदलते वक्त के साथ भारत के साथ रिश्तों में नई ऊर्जा भरने में असफल रहे हैं। मोदी के स्वागत की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन बुधवार को लंदन रवाना हो चुके हैं।

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सूत्रों के मुताबिक 12 नवंबर के आसपास पीएम मोदी की तीन दिनों की विदेश यात्रा की शुरुआत होगी। यात्रा की तिथि की घोषणा जल्द ही की जाएगी। इस यात्रा में समूह-20 देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री तुर्की जाने वाले हैं। वहां से लौटने क्रम में उनकी ब्रिटेन की यात्रा करने योजना है।

सूत्रों के मुताबिक, मोदी की पिछली विदेश यात्राओं की तरह लंदन प्रवास के दौरान भी प्रवासी भारतीयों को संबोधित करने के लिए कार्यक्रम बनाने की तैयारी चल रही है। लंदन के मशहूर वेंबले स्टेडियम में मोदी के भाषण का कार्यक्रम रखा जा सकता है।

मोदी लगभग एक दशक बाद ब्रिटेन की यात्रा पर जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। इसके पहले वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां गए थे। हालांकि उसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चार बार भारत की यात्रा कर चुके हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन वर्ष 2010 के बाद से तीन बार भारत आ चुके हैं। इस दौरान भारत व ब्रिटेन के बीच आर्थिक व अन्य रिश्तों में एक तरह का ठंडापन ही रहा। भारत का द्विपक्षीय व्यापार भी ब्रिटेन के साथ कोई खास रफ्तार से नहीं बढ़ा जबकि चीन, जर्मनी, जापान जैसे देशों के साथ भारत का आर्थिक रिश्ता मजबूत होता गया।

सत्ता में आने के बाद मोदी के अहम कार्यक्रमों मसलन मेड इन इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए दुनिया के तमाम विकसित देशों ने जबरदस्त रुचि दिखाई है। अब ब्रिटेन की कोशिश होगी कि इन कार्यक्रमों में शामिल हो कर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में वह अपना हिस्सा सुनिश्चित करे।

दोनों देशों के बीच परमाणु सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में भी अहम कारोबार होने के आसार हैं। दो दिन पहले ही ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात भी की थी। सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार की नदियों को स्वच्छ बनाने की योजना के लिए भी ब्रिटेन की मदद काफी उपयुक्त साबित हो सकती है। इस बारे में भी दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होने के आसार हैं।

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