पीएम के संदेश व शाह के सक्रिय होने के बाद गुजरात में शांति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति की अपील और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के फिर से प्रदेश की कमान हाथ में लेने के बाद से गुजरात पूरी तरह शांत है। आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे पाटीदार आंदोलन के हिंसक होने से गत दो दिनों में करोड़ों की सरकारी संपत्ति
जागरण संवाददाता, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति की अपील और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के फिर से प्रदेश की कमान हाथ में लेने के बाद से गुजरात पूरी तरह शांत है। आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे पाटीदार आंदोलन के हिंसक होने से गत दो दिनों में करोड़ों की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गई है और सात युवकों की मौत हुई है। इसके बाद कांग्रेस ने राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ने का मुद्दा उठाते हुए विधानसभा में चर्चा कराने व मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
अर्धसैनिक बलों की 130 टुकडि़यां तैनात
पाटीदार जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने की मांग को लेकर डेढ़ माह से चल रहे इस आंदोलन के हिंसक होने के बाद इसे काबू में करने के लिए सरकार को अर्धसैनिक बलों की 130 टुकडि़यां उतारनी पड़ी है। मुख्यमंत्री व मंत्री के बंगलों की सुरक्षा का दायित्व पहले से ही बीएसएफ के जिम्मे है।
मोदी की अपील का असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की जनता से शांति बनाए रखने की अपील का व्यापक असर हुआ और पूरे गुजरात में हिंसक घटनाएं खुद थम गईं। मोदी ने अपील में कहा था कि लोकतंत्र में आपसी बातचीत से ही किसी समस्या का समाधान हो सकता है।
कई स्थानों पर लगा था कर्फ्यू
हिंसक घटनाओं के बाद अहमदाबाद के पटेल बहुल नौ इलाकों, मेहसाना व सूरत में अनिश्चितकालीन कफ्र्यू लगा दिया गया था।
कांग्रेस विधायकों ने किया सदन में हंगामा
पाटीदार रैली के बाद हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा किया। नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला ने विधानसभा अध्यक्ष गणपत भाई वसावा से मिलकर उनके समक्ष सदन में चर्चा कराने की मांग रखी। कांग्रेस राज्यपाल ओपी कोहली को इस मुद्दे पर ज्ञापन भी देने वाली है।
अमित शाह की सक्रियता के बाद हालात काबू में
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कमान हाथ में लेने के बाद गुजरात पुलिस ने उपद्रवियों पर काबू पाया। परदे के पीछे रहकर शाह ने आंदोलन के बाद उपद्रवियों को काबू में करने के लिए रणनीति बनाई जिसके तहत पुलिस ने पहले अशांत क्षेत्रों में कफ्र्यू लगाया। इससे पहले पुलिस ने धारा 144 की घोषणा की थी।
कर्फ्यू के डर से उपद्रवी भूमिगत हो गए उसके बाद पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगो की दबिश देकर धरपकड़ की। इससे पहले आपराधिक किस्म के तत्वों की भी पुलिस ने पहचान करते हुए उन पर काबू पाया। शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद गुजरात में उनकी सक्रियता कम हो गई थी। जिसका आरक्षण समिति ने बखूबी लाभ उठाया।
राजनितिक तरीके से इस आंदोलन का तोड़ कोई नेता नहीं निकाल पाया लेकिन शाह ने हिंसा के बाद जनता से शांति की अपील करते हुए इस मामले से निपटने में अहम भूमिका निभाई।