फर्जी कंपनी बनाकर विदेशी आय छुपाने वालों पर कसेगी नकेल
इस बीच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने स्पष्ट किया है कि प्रभावी प्रबंधन स्थान संबंधी नियम का उद्देश्य भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निशाना साधने का नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फर्जी कंपनी बनाकर विदेश में आमदनी रखने वाले अब बच नहीं सकेंगे। आयकर विभाग ऐसी कंपनियों और उनके मालिकों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। विभाग एक अप्रैल 2017 से ऐसी कंपनियों पर 'प्रभावी प्रबंधन के नियम' के तहत कार्रवाई करेगा। हालांकि जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपये या इससे है तो उन पर यह नियम लागू नहीं होगा।
सरकार ने वित्त कानून 2015 में 'प्रभावी प्रबंधन के स्थान' का नियम शामिल किया था जो एक अप्रैल 2016 से लागू हो चुका है। ऐसे में आयकर विभाग अब आकलन वर्ष 2017-18 में इस नियम का इस्तेमाल कर ऐसी कंपनियों पर नकेल कसेगा। इस नियम की लंबे समय से प्रतीक्षा थी।
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इस बीच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने स्पष्ट किया है कि प्रभावी प्रबंधन स्थान संबंधी नियम का उद्देश्य भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निशाना साधने का नहीं है। यह नियम सिर्फ उन कंपनियों पर निशाना साधने के लिए लाया गया है जिन्हें बनाने का एकमात्र उद्देश्य भारत से बाहर की आय को अपने पास रखना है जबकि इन कंपनियों का वास्तविक नियंत्रण और कार्यो का प्रबंधन भारत में स्थित होता है।
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सीबीडीटी ने कहा कि किसी करदाता के मामले में पीओईएम के लिए जांच शुरू करने से पहले निर्धारण अधिकारी (असेसमेंट ऑफिसर) को प्रधान आयकर आयुक्त या आयकर आयुक्त से मंजूरी लेनी होगी। सरकार ने यह प्रावधान इसलिए किया है ताकि नए नियमों का कोई गलत इस्तेमाल न कर सके। इसके अलावा निर्धारण अधिकारी को यह निर्धारण करने से पूर्व कि एक अनिवासी कंपनी का प्रभावी प्रबंधन स्थल भारत में है या नहीं, प्रधान आयुक्तों के कॉलेजियम से भी अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
इस बीच सीबीडीटी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रभावी प्रबंधन के स्थान संबंधी ये नए नियम उन कंपनियों पर लागू नहीं होंगे जिनका टर्नओवर एक वित्तीय वर्ष में 50 करोड़ रुपये या उससे कम है। नए नियमों के तहत भारत में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों तथा विदेश में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों को उस देश में स्थानीय करों का भुगतान करना होगा जहां उनका प्रभावी प्रबंधन बैठता है। ऐसा होने पर उन कंपनियों पर नकेल कसी जा सकेगी जो टैक्स हैवन में अपना प्रबंधन दिखाकर भारत में कर भुगतान करने से बचती हैं। हालांकि ऐसी बहुत सी कंपनियों के बारे में फैसले भारत से ही होते हैं।