आप को भारी पड़ सकता है बुखारी का फतवा
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी का समर्थन अरविंद केजरीवाल को भारी पड़ सकता है। वैसे चुनाव के ठीक पहले बुखारी का समर्थन लेने वाली कांग्रेस का हाल देखकर और इसकी राजनीतिक कीमत को भांपते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे लेने से तत्काल इन्कार कर
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी का समर्थन अरविंद केजरीवाल को भारी पड़ सकता है। वैसे चुनाव के ठीक पहले बुखारी का समर्थन लेने वाली कांग्रेस का हाल देखकर और इसकी राजनीतिक कीमत को भांपते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे लेने से तत्काल इन्कार कर दिया।
लेकिन भाजपा की ओर से अरुण जेटली, शाहनवाज हुसैन और अन्य नेताओं ने यह संदेश पहुंचाने में देर नहीं की कि केजरीवाल धार्मिक आधार पर वोट विभाजित करना चाहते हैं। जाहिर है कि मतदाताओं पर इसने असर किया तो केजरीवाल के लिए यह खतरनाक हो सकता है। जेटली ने अपील करते हुए कहा, जो लोग फतवा की राजनीति के खिलाफ हैं वह बड़ी संख्या में वोट करें।
मुस्लिमों का समर्थन मान कर चल रही आप
बुखारी के समर्थन से इन्कार आप की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। आप का मानना है कि कांग्रेस के मैदान से बाहर होने और भाजपा से सीधी टक्कर की स्थिति में मुस्लिम वोट स्वाभाविक रूप से उसकी झोली में गिरेंगे। इस चुनाव में आप ने हिंदुओं को चुभने वाले मुद्दों से परहेज करना ही उचित समझा।
ध्रुवीकरण वाले मुद्दों से आप रही दूर
जम्मू-कश्मीर में आजादी के लिए जनमत संग्रह की मांग करने वाले आप के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण को पूरे चुनाव प्रचार से बाहर रखा गया। यही नहीं, बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने और अफजल गुरू, अजमल कसाब, यासीन भटकल और इशरत जहां जैसे आतंकियों को निर्दोष बताने के पार्टी के पुराने रुख पर चुप्पी साधी गई।
आप जानती है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और दुबई से फोन और सोशल मीडिया के जरिये मुसलमानों के बीच हो रहा गुपचुप प्रचार बुखारी के खुले समर्थन की तुलना में ज्यादा प्रभावी है।
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केजरी की धर्म निरपेक्षता की पोल खोली साथी ने
अरविंद केजरीवाल की कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की पोल खुद आप के संस्थापक सदस्य सेवानिवृत मेजर सुरेंद्र पुनिया ने खोल दी है। मेजर पुनिया केजरीवाल के साथ इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के समय से जुड़े थे। तीन दिन पहले केजरीवाल को लिखे पत्र में मेजर पुनिया ने ओखला विधानसभा क्षेत्र से अमानतुल्ला खान को टिकट दिये जाने का विरोध करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
जबकि मेजर पुनिया लोकसभा चुनाव में आप के टिकट पर राजस्थान के सीकर से चुनाव भी लड़े थे। पुनिया के अनुसार अमानतुल्ला खान पर दिल्ली और अहमदाबाद के आतंकी हमलों के आरोपी जियाउर रहमान की मदद का आरोप है।