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मुलायम सिंह के नाम पर पूर्व आइएफएस से ठगी

उत्तर प्रदेश में ठग अब किसी को अपना शिकार बनाने में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का नाम भी चला रहा हैं। औरैया में एक ठग ने अपने को मुलायम सिंह यादव का करीबी बताकर पूर्व आइएफएस अधिकारी से लोक सेवा आयोग में सदस्य बनवाने के नाम पर तीस हजार रुपये ठग लिये। यही नहीं आरोपी ने पीड़ित से पार्टी फंड के नाम पर तीस लाख रुपय

By Edited By: Published: Sat, 08 Feb 2014 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2014 03:49 PM (IST)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ठग अब किसी को अपना शिकार बनाने में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का नाम भी चला रहा हैं। औरैया में एक ठग ने अपने को मुलायम सिंह यादव का करीबी बताकर पूर्व आइएफएस अधिकारी से लोक सेवा आयोग में सदस्य बनवाने के नाम पर तीस हजार रुपये ठग लिये।

यही नहीं आरोपी ने पीड़ित से पार्टी फंड के नाम पर तीस लाख रुपये की मांग भी कर दी। इस बात पर शक होने के बाद पूर्व आईएफएस ने पड़ताल की तो नटवर लाल का भंडाफोड़ हो गया। पुलिस ने औरैया के आरोपी सहित दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आई-5 लायर्स कालोनी बाईपास रोड आगरा निवासी पूर्व आईएफएस डा.आरपी भारती वन अनुसंधान संस्थान कानपुर से निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। डा. भारती के अनुसार रिटायरमेंट से कुछ समय पहले औरैया निवासी एसके यादव उनके सपंर्क में आया और खुद को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का अति निकट बताते हुए विश्वास जीतने की कोशिश की। उसके मोबाइल में बड़े नेताओं और अधिकारियों के फर्जी नंबर सेव थे। इन्हीं नंबरों पर फोन कर उसने उन्हें झांसे में ले लिया। आरोप है कि कई बड़े नेताओं की आवाज निकालकर उसके गिरोह के सदस्यों ने अलग अलग बात की। जिसके बाद उन्हें लोकसेवा आयोग में सदस्य बनवाने का प्रलोभन दिया गया।

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आरोपी ने कहा कि सपा मुखिया को उनके जैसे वरिष्ठ व कर्मठ अधिकारियों की तलाश है। इसके बाद उसने उनसे इस संदर्भ में एक प्रार्थनापत्र लिखाया और किराए भाड़े के नाम पर दस हजार रुपए ले लिए। दस दिन बाद बीपी वर्मा नाम के एक व्यक्ति का फोन आया और उसने खुद को गंगाराम [ओएसडी] का पीए बताया। उसने कहा कि आपकी पत्रवली प्राप्त हो गई है और अनुमोदन के लिए अग्रसारित कर दी गई है, उन्हें पंचम तल की गतिविधियों के बारे में भी बताया गया। कुछ दिन बाद एसके यादव नाम का शख्स फिर उनके घर आया और यात्र आदि के व्यय के नाम पर उनसे 20 हजार रुपए लिए। तीन दिन बाद आरोपी ने कहा कि नेताजी ने फाइल पास कर दी है। उन्होंने पार्टी फंड के नाम पर 30 लाख रुपये मांगे हैं। इस पर उन्हें संदेह हुआ और नाराजगी जताते हुए सदस्य बनने से मना कर दिया। साथ ही आरोपी से कहा कि वह दिए गए 30 हजार रुपए वापस कर दे। पीड़ित का कहना है उस दिन आरोपी कुछ दिन में रुपये वापस देने की बात कहकर चला गया। फिर नहीं आया उसके बाद से दोनों के फोन नंबर स्विच ऑफ आ रहे हैं। अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र राय ने बताया कि मामले की जांच शुरू की गई है। प्रारंभिक जांच में मोबाइल के सिम जौनपुर के फर्जी पते से पाए गए हैं।

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