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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अमीरों में बढ़ रहा है अहंकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है अमीर लोगों में अहंकार बढ़ रहा है। उनकी नजरों में गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी केरल के उस बिजनेसमैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए की है, जिसने अपार्टमेंट का गेट खोलने में

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2015 02:46 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2015 05:31 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है अमीर लोगों में अहंकार बढ़ रहा है। उनकी नजरों में गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी केरल के उस बिजनेसमैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए की है, जिसने अपार्टमेंट का गेट खोलने में देरी करने वाले सिक्योरिटी गार्ड को अपनी गाड़ी से रौंद दिया था।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह मामला इसका जीता जागता उदाहरण है कि अमीर व्यक्तियों का गरीबों के प्रति क्या नजरिया है। वे गरीबों की जान को क्या समझते हैं।

पीठ के अनुसार ऐसा लगता है कि धनी व्यक्ति आत्मकेंद्रित हो गया है और उसमें घमंड आ गया है। पीठ ने आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम से कहा कि आरोपी मोहम्मद निशाम ने गरीब व्यक्ति की जान की कीमत नहीं समझी और अब वह जमानत की उम्मीद कर रहा है।

गौरतलब है कि नश्ो की हालत में निशाम ने सिक्योरिटी गार्ड चंद्रबोस पर 29 जनवरी अपनी हमर एसयूवी चढ़ा दी थी। दरअसल, पॉश रिहायशी इलाके में गेट खोलने के लेकर हुई देरी के बाद उनके बीच वाद-विवाद हो गया था। हादसे के बाद 16 फरवरी को चंद्रबोस की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी।

पुलिस ने इस मामले में निशाम के ख्ािलाफ हत्या का केस दर्ज किया था। त्रिशूर की जिला कोर्ट और हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद निशाम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को तीन महीने में मामले का फैसला देने का निर्देश दिया।


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