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'बदला' लेने को लश्कर व आइएम ने हाथ मिलाया

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। अक्तूबर में दंगा पीडि़तों के संपर्क में आइएसआइ एजेंट बयान के बाद भले ही सियासी भूचाल आया हो, लेकिन दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद बयान पर बखेड़ा करने वालों की बोलती बंद हो गई। दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला कि मुजफ्फरनगर में दंगों का बदला लेने के लिए लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन समेत टॉप आतंकी संगठनो

By Edited By: Published: Wed, 08 Jan 2014 09:19 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2014 09:22 PM (IST)

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। अक्तूबर में दंगा पीडि़तों के संपर्क में आइएसआइ एजेंट बयान के बाद भले ही सियासी भूचाल आया हो, लेकिन दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद बयान पर बखेड़ा करने वालों की बोलती बंद हो गई। दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला कि मुजफ्फरनगर में दंगों का बदला लेने के लिए लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन समेत टॉप आतंकी संगठनों ने हाथ मिला लिया है। 2002 में अमेरिकन सेंटर पर हमले को अंजाम देने वाले आतंकी भी मदद को तैयार हैं। दिल्ली पुलिस ने इसकी जानकारी यूपी पुलिस के आलाधिकारियों को दी है।

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पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्र बता रहे हैं कि दिल्ली पुलिस ने यूपी के वरिष्ठ पुलिस अफसरों से साझा की जानकारी में दावा किया गया कि जनपद मुजफ्फरनगर और शामली के राहत शिविरों में पाक परस्त लोग गतिविधियों को अंजाम देने में लगे हैं। लश्कर ए तय्यबा ने इंडियन मुजाहिदीन के साथ मिलकर प्लान तैयार किया है। लश्कर के आफताब अंसारी और इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक आमिर रजा खान ने मुजफ्फरनगर दंगों का बदला हर हाल में लेने के लिए कसम खाई। दावा है कि दोनों की बातचीत केंद्रीय खुफिया विंग ने टेप की थी। इसके बाद ही चौकसी बरती गई।

मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने भी शिविरों में युवाओं को बरगलाने और नोट बांटने की पुष्टि की थी और रात के समय लोई शिविर में फोर्स भी तैनात कराई थी।

दंगा प्रभावित इलाकों में भर्ती की तैयारी?

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा प्रभावित इलाकों में आईएम और लश्कर खास रणनीति के तहत युवाओं को भर्ती करने की तैयारी है। खुफिया एजेंसियों की जांच पड़ताल के बाद तथ्य मिले हैं कि दंगा प्रभावित इलाकों में विशेष तौर पर भर्ती की तैयारी है। आतंकी संगठनों ने कुछ युवाओं को जाल में फंसा भी लिया है।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक मुजफ्फरनगर और शामली में दंगों में मुस्लिमों के खूनखराबे के बाद आतंकी संगठन आहत हैं। जिसके चलते दंगों का बदला लेना उनकी हिटलिस्ट में है। आईएम ने लश्कर के साथ मिलकर खासतौर पर दंगा प्रभावित इलाकों के युवाओं को दुखती रग पर हाथ रखकर और मनोवैज्ञानिक तौर पर वास्ता देकर बरगला लिया है। अब खूनखराबे के लिए उन्हें सीमा पार भेजकर विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाना है।

खासतौर पर उन गांवों के युवाओं को भर्ती के लिए बरगलाया गया है जहां गांव उजड़ गए और अब कोई गांव की सीमा भी देखने को तैयार नहीं है। खुफिया एजेंसी आतंकी आकाओं की फोन टेपिंग पर विस्तार से उनके मंसूबे जान चुकी हैं। ऐसे में भविष्य में बड़े आतंकी हमलों की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। बड़े पैमाने पर दिल्ली और पश्चिमी यूपी में खून खराबा कर टॉप आतंकी संगठन बदले की धधक रही ज्वाला को शांत कर सकते हैं।

आतंकियों के पास है मुजफ्फरनगर का भूगोल

मुजफ्फरनगर। जांच एजेंसियों को पड़ताल के बाद कई चौकाने वाले तथ्य मिले हैं। आतंकी आकाओं के पास मुजफ्फरनगर और शामली जनपदों में उन इलाकों का पूरा लेखा जोखा होना बताया गया है। जिन गांवों में ज्यादा हिंसा हुई थी। बताया जाता है कि सीमा पार बैठे आकाओं के पास हिंसाग्रस्त इलाकों का पूरा भूगोल है।

सीमा पार बैठे आतंकियों के पास दोनों जनपदों का भूगोल मौजूद है। हालांकि स्थानीय पुलिस अधिकारी इंकार करते हैं।

लापताओं का सुराग 'लापता'

मुजफ्फरनगर। बीती सात-आठ सितंबर को जिले में हुई हिंसा में कई लोग घरों से बेघर हो गये। एक दर्जन से ज्यादा ऐसे है जिनका अभी तक सुराग नहीं लगा। काफी प्रयास के बाद भी पुलिस इनका सुराग नहीं लगा सकी है। इनमें फुगाना थानाक्षेत्र के गांव लिसाढ के 11 लोग भी शामिल है।

दंगे के बाद पूरे जनपद की बात की जाए तो अभी एक दर्जन से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनकी गुमशुदगी अलग-अलग थानों में दर्ज है। भौराकलां, फुगाना, नई मंडी, शहर कोतवाली में एक दर्जन लोगों की गुमशुदगी दर्ज है। इसके अलावा अकेले फुगाना थानाक्षेत्र के गांव लिसाढ़ से 11 लोग लापता हैं, जिनका आग तक सुराग नहीं लगा है। उधर, कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके परिजन चुप्पी साधे हुए है। जैसे रोजूदीन व सलीम के परिजन। दोनों काफी समय से गायब है, लेकिन अभी तक उनके परिजनों ने पुलिस को तहरीर नहीं दी है। मंगलवार को दिल्ली पुलिस इन्हीं दोनों के बारे में जानकारी जुटाई थी।

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