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शौक ने बना दिया हरा-भरा जहां, परिंदों का आशियां

400 वर्ग गज के मकान को गुरपाल सिंह ने बनाया जैव विधिता के संग्रहालय का नमूना...

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 17 May 2017 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 17 May 2017 11:57 AM (IST)
शौक ने बना दिया हरा-भरा जहां, परिंदों का आशियां

बठिंडा (ब्युरो)। पॉवर हाउस रोड पर 400 वर्ग गज का मकान जैव विविधता के संग्रहालय का जीवंत नमूना है। यह मकान है वन रेंज ऑफिसर गुरपाल सिंह ढिल्लो का, जिसमें 56 तरह की वनस्पतियां लहलहा रही हैं। वहीं, घर में तीन-तीन तरह के परिंदे भी रहते हैं। गुरपाल सिंह के शौक ने यह हरा-भरा जहां और र्पंरदों का आशियां बना दिया है। प्रकृति से प्रेम रखने वाले गुरपाल सिंह घरेलू जरूरत के ज्यादातर फल और सब्जियां अपने घर में 12 गुणा 25 फुट में बनी बगीची व 50 से ज्यादा गमलों से ही हासिल करते हैं।

गुरपाल सिंह ढिल्लो ने पांच वर्ष पहले पॉवर हाउस रोड स्थित अपने घर में शिफ्ट होते ही कंक्रीट से बने घर में कैद रहने के बजाय उसे प्राकृतिक दृष्टि से नया लुक देने और उपयोगी बनाने की योजना बनाई। इससे पहले वह कमला नेहरु कॉलोनी में एक छोटे घर में रहते थे। तब उन्होंने घर की छतों, सीढ़ियों, बाहरी चबूतरे और अन्य स्थानों पर 100 से ज्यादा गमले लगाए थे। वर्ष 2012 में गुरपाल सिंह पॉवर हाउस रोड पर बड़े घर में शिफ्ट हुए तो घर को किचन गार्र्डंनग और जैव विविधता का नायाब नमूना बनाने में लग गए। वह कहीं घूमने जाते हैं तो वहां आसपास की बड़ी नर्सरी से नया पौधा लाना नहीं भूलते हैं।

कार शेड के बजाय वेजिटेटिव शेड : एमएससी फिजिक्स तक शिक्षित गुरपाल सिंह ढिल्लो पहले दो वर्ष तक बैंक मैनेजर रहे और फिर दो वर्ष तक सरकारी स्कूल में फिजिक्स के लेक्चरर रहे। फिर वन विभाग में फोरेस्ट रेंज ऑफिसर के पद पर चयनित हुए। गुरपाल सिंह ने घर में कार शेड को सिथेंटिक शीट से कवर नहीं किया। इससे वेजिटेटिव शेड को रूप देने के लिए लोहे के ढांचे पर कद्दू तोरी और करेले की बेलें चढ़ाई हैं, जो कार को छांव और रसोई के लिए सब्जियां देती हैं। वह रोजाना सुबह एक घंटे तक घर पर लगी सब्जियों और पौधों की देखभाल करते हैं। बगीची और गमलों में केंचुए छोड़ रखे हैं। रसोई के कचरे को बगीची और गमलों में डाल कर खाद बनाते है। केमिकल खाद व कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते हैं।

-संदीप सिंह धामू 

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