हिन्दू ही गढ़ेंगे विकास की नई परिभाषा
‘हिन्दू विकास दर’ के नाम पर हिन्दुओं की कार्य क्षमता का मजाक उड़ाया गया। परंतु अब पूरा विश्व विकास के लिए उन्हीं हिन्दुओं की ओर निहार रहा है। विश्व हिन्दू कांग्रेस में दुनिया भर से जुटे हिन्दू पेशेवरों ने इस विचार को एक स्वर से मान्यता दी है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। ‘हिन्दू विकास दर’ के नाम पर हिन्दुओं की कार्य क्षमता का मजाक उड़ाया गया। परंतु अब पूरा विश्व विकास के लिए उन्हीं हिन्दुओं की ओर निहार रहा है। विश्व हिन्दू कांग्रेस में दुनिया भर से जुटे हिन्दू पेशेवरों ने इस विचार को एक स्वर से मान्यता दी है। सभी का मानना है कि हिन्दू उद्यमिता कभी सरकार की मोहताज नहीं रही। आजादी के बाद एक के बाद एक आई सरकारों ने इसकी धार को कुंद किया है। यदि सरकार की बाधा हट जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था को आठ फीसद की सतत विकास दर हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। सौभाग्य से पहली बार ऐसी सरकार आई है जो उद्यमिता में बाधक नहीं बल्कि साधक है।
मेक इन इंडिया’ को सराहा
हिन्दू कांग्रेस में पचास देशों से आए हिन्दू संगठनों, नेताओं, महिलाओं एवं मीडिया विशेषज्ञों ने जहां हिन्दू युवाओं से हिन्दुत्व के पुनरुत्थान के लिए आगे आने और नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया। वहीं आर्थिक विशेषज्ञों ने देश के विकास में बाधक तत्वों एवं इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए आवश्यक घटकों पर माथापच्ची की। सभी का मानना था कि केंद्र की मौजूदा सरकार विकास के लिए सही प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है और प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान इस दिशा में एकदम सही कदम है।
2004 के बाद विकास अवरुद्ध हो गया
अर्थशास्त्री बिबेक देबराय का कहना था कि 1960 से 1970 के दशक में भारत ने अवसर खोया। उस दौरान अनावश्यक सरकारी दखल के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जबकि सरकार के कठोर रवैये के कारण 2004 के बाद विकास लगभग अवरुद्ध ही हो गया। देबराय के अनुसार यदि महाभारत और कौटिल्य को पढ़ें तो पता चलता है कि हिन्दू उद्यम कभी भी सरकार पर निर्भर नहीं रहे। यदि यह सुनिश्चित हो कि सरकार का दखल नहीं होगा तो भारतीय अर्थव्यवस्था अत्यंत शानदार प्रदर्शन कर सकती है।
क्या है हिन्दू विकास दर
भारत में तीन से चार फीसद की विकास दर को साठ के दशक से ही दुनिया भर के अर्थशास्त्री हिन्दू विकास दर के रूप परिभाषित करते रहे हैं।
हिन्दू उद्यमी तैयार करने पर जोर
सम्मेलन में दुनिया भर में युवा हिन्दू उद्यमियों को तैयार करने, उनके लिए पूंजी का इंतजाम करने के अलावा सोशल मीडिया, मीडिया और मनोरंजन उद्योग में पैठ के जरिये विरोधी समाजों से संपर्क बढ़ाकर हिन्दुत्व को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
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