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'आधार से रुकेगी टैक्स चोरी, ईमानदार लोगों को मिलेगा लाभ'

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इससे टैक्स चोरी रुकेगी और ईमानदार लोगों को लाभ मिलेगा।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 02 May 2017 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 02 May 2017 09:38 PM (IST)
'आधार से रुकेगी टैक्स चोरी, ईमानदार लोगों को मिलेगा लाभ'

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने पैन कार्ड जारी करने के लिए आधार नंबर को अनिवार्य करने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि फर्जी पैन कार्ड की समस्या से निपटने के लिए आधार की अनिवार्यता जरूरी है। केंद्र ने आधार को सुरक्षित और मजबूत बताया, जबकि पैन कार्ड में फर्जीवाड़ा होने की आशंका जताई। याची ने सरकार के निर्णय को असंवैधानिक बताया है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आयकर अधिनियम, 2017 की धारा 139 (एए) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। वित्त अधिनियम, 2017 के तहत इसे शामिल किया गया है। यह एक जुलाई से प्रभावी होगा। सरकार ने 139 (एए) के जरिये आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन कार्ड आवंटन के लिए आधार नंबर मुहैया कराना अनिवार्य कर दिया है। अटॉर्नी जनरल ने मंगलवार को जस्टिस एके सीकरी और न्यायमूर्ति एके भूषण की पीठ के समक्ष केंद्र के इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि तकरीबन 10 लाख पैन कार्ड को निरस्त किया जा चुका है, जबकि सरकार को अब तक 113.7 करोड़ आधार में से एक में भी फर्जीवाड़े का मामला नहीं मिला है।

आधार आतंकियों को धन मुहैया कराने और काले धन पर प्रभावी नियंत्रण में भी सहायक है। मुकुल रोहतगी के अनुसार, आधार का उद्देश्य सुरक्षित और मजबूत तंत्र विकसित करना है, ताकि किसी भी व्यक्ति की पहचान के साथ खिलवाड़ न हो सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि 139 (एए) में इसके पूर्व समय से प्रभावी होने का उल्लेख नहीं है। केंद्र पहले ही कोर्ट को फर्जी पैन के जरिये मुखौटा कंपनियों में पैसा डालने की बात कह चुका है। बकौल रोहतगी, आधार के जरिये 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की जा चुकी है। बुधवार को भी इस पर सुनवाई जारी रहेगी।

याची की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि धारा 139 (एए) असंवैधानिक होने के साथ इसका प्रावधान आधार कानून से टकराव वाला है। आधार को जबरन लागू करने का फैसला देश और उसके नागरिकों के संबंधों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि एक सच्चे आयकर दाता को आधार नंबर मुहैया कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। दुनिया के किसी भी देश में नागरिकों पर बायोमीट्रिक प्रणाली द्वारा चौबीसों घंटे नजर रखने का उदाहरण नहीं मिलता है।

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