बांबे हाईकोर्ट से नहीं मिली गोवध बंदी पर राहत
बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के गोवध बंदी कानून पर स्टे देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में विस्तृत शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। गोवध बंदी कानून के खिलाफ दायर कुछ याचिकाओं पर हाई कोर्ट सुनवाई कर
मुंबई [राज्य ब्यूरो]। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के गोवध बंदी कानून पर स्टे देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में विस्तृत शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। गोवध बंदी कानून के खिलाफ दायर कुछ याचिकाओं पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
न्यायमूर्ति वीएम कानाडे और एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि सभी याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने तक इस कानून को स्थगित नहीं किया जा सकता है। मामले में अगली सुनवाई 25 जून को होगी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिए कि याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने अथवा तीन माह तक (जो भी पहले हो) गोमांस रखने, दूसरे राज्यों से लाने या आयात करने पर कठोर कार्रवाई न करें। कोर्ट का मानना है कि जल्दी में कानून लागू होने से कारोबारियों को उनका भंडार खत्म करने का मौका नहीं मिला होगा।
बता दें, महाराष्ट्र पशु संरक्षण कानून के तहत गोहत्या पर 1976 से ही प्रतिबंध लागू है। इस वर्ष फरवरी के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिलने के बाद से बैलों और बछड़ों की हत्या पर भी प्रतिबंध लग गया है। इसके विरोध में गोमांस कारोबार से जुड़े कुछ संगठनों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं।
इन्हीं संगठनों में से एक के सचिव विजय दलवी ने कहा कि प्रदेश में गोवंश की हत्या पर संपूर्ण प्रतिबंध लगने से मांस विक्रेताओं के अलावा किसान और कारोबारियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि हम इसका विरोध कर रहे हैं। राज्य में लागू नए कानून में गोमांस रखने, आयात करने और दूसरे राज्य से लाने पर भी प्रतिबंध है।
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