अनिवार्य मतदान वाला पहला राज्य बना गुजरात
निकाय चुनाव में अनिवार्य मतदान का प्रावधान करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है। राज्यपाल ओपी कोहली द्वारा गुजरात स्थानीय प्रशासन कानून (संशोधन) विधेयक, 2011 को गत सप्ताह मंजूरी देने के साथ ही अब निकाय चुनाव नए कानून के तहत होंगे।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। निकाय चुनाव में अनिवार्य मतदान का प्रावधान करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है। राज्यपाल ओपी कोहली द्वारा गुजरात स्थानीय प्रशासन कानून (संशोधन) विधेयक, 2011 को गत सप्ताह मंजूरी देने के साथ ही अब निकाय चुनाव नए कानून के तहत होंगे।
दरअसल, गुजरात सरकार ने वर्ष 2009 में गुजरात स्थानीय प्रशासन कानून सुधार विधेयक पारित कर तत्का लीन राज्यपाल डॉ कमला बेनीवाल के पास मंजूरी के लिए भेजा था। अप्रैल, 2010 में कमला बेनीवाल ने कुछ सुझावों के साथ विधेयक को लौटा दिया था। उन्होंने महिला आरक्षण पर तो सहमति जताई, लेकिन नागरिकों पर अनिवार्य मतदान थोपने को संविधान विरोधी करार दिया था। केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद गुजरात के राज्यपाल बने ओम प्रकाश कोहली ने करीब चार साल से लंबित अनिवार्य मतदान और महिला आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। विधानसभा सचिव डी एम पटेल ने इसकी पुष्टि की है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से फिलहाल इसकी विधिवत घोषणा नहीं की गई है। मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अनिवार्य मतदान कानून को लेकर जनता में जागरुकता पैदा करने का आह्वान किया, ताकि जनविरोध का सामना न करना पड़े।
नेता नहीं एक राय
भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक विजय रुपाणी ने विधेयक की मंजूरी को लोकतांत्रिक प्रणाली में सुधार का अहम पड़ाव बताया और कहा कि इससे प्रजातंत्र मजबूत होगा। उनके मुताबिक इससे लोगों की चुनाव में भागीदारी बढ़ेगी और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा। कांग्रेस विधायक शक्ति सिंह गोहिल ने अनिवार्य मतदान के प्रावधान को मूल अधिकारों का हनन बताया है। बकौल गोहिल कांग्रेस महिला आरक्षण के पक्ष में रही है, लेकिन अनिवार्य मतदान संविधान सम्मत नहीं है।
कानून विशेषज्ञ भी बंटे
नेता ही नहीं कानून के विशेषज्ञ भी इसपर एक मत नहीं हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पटेल ने नए कानून को गरीब विरोधी करार देते हुए इससे भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका जताई। उनके मुताबिक जो नागरिक जानबूझकर मतदान के अधिकार का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। वहीं, गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व जज और पूर्व लोकायुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) एसएम सोनी ने कहा कि यह कानून लोगों को मतदान करने के कर्तव्य के प्रति जागरूक करेगा।
चुनाव लडऩे के लिए घर में टॉयलेट जरूरी
गांधीनगर। गुजरात में अब वे लोग स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, जिनके घर में टॉयलेट नहीं है। गुजरात स्थानीय प्रशासन कानून (संशोधन) विधेयक, 2014 के तहत नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों के घरों में टॉयलेट होना अनिवार्य कर दिया गया है।
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