बेकाबू प्याज पर हरकत में आई सरकार
प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। प्याज का निर्यात रोकने के लिए जहां न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में भारी बढ़ोतरी कर दी गई है, वहीं 10 हजार टन प्याज आयात का वैश्विक टेंडर जारी कर दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार हरकत में आ गई है। प्याज का निर्यात रोकने के लिए जहां न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में भारी बढ़ोतरी कर दी गई है, वहीं 10 हजार टन प्याज आयात का वैश्विक टेंडर जारी कर दिया गया है। घरेलू स्तर पर विभिन्न मंडियों में प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकारी एजेंसियों को नियुक्त कर दिया गया है।
उत्पादक मंडी लासलगांव में प्याज का थोक मूल्य 57 रुपये किलो तक पहुंच गया है। प्याज के दामों में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए 24 अगस्त को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव ने संबंधित मंत्रालयों व प्याज से जुड़ी सरकारी एजेंसियों की बैठक भी बुलाई है। प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य में भारी वृद्धि कर दी है। इसे 425 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 700 डॉलर कर दिया गया है। इससे प्याज निर्यात की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। इसके विपरीत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 10 हजार टन प्याज आयात का वैश्विक टेंडर जारी कर दिया गया है। संबंधित एजेंसी एमएमटीसी को जल्द से जल्द आयातित प्याज की खेप लाने को कहा गया है।
मूल्य स्थिरीकरण निधि से खरीदी गई प्याज को जल्दी से बाजार में डालने के निर्देश भी दिए गए हैं। राजधानी में डीएमएस के 120 मिल्क बूथों पर 35 रुपये किलो की दर से प्याज बेची जाएगी। इसी तरह दिल्ली सरकार ने 280 रियायती राशन की दुकानों से प्याज की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। सात जुलाई 2015 को दिल्ली में देश के उपभोक्ता मंत्रियों की बैठक में प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाने का फैसला किया गया था। इसके मद्देनजर राज्य सरकारों को प्याज के दामों में होने वाली वृद्धि पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा प्याज के भंडारण की स्टॉक सीमा भी एक साल तक और बढ़ा दी गई है।
शहरवासियों को रूलाने लगा है प्याज
दिल्ली में प्याज की खातिर लंबी-लंबी कतारों में नजर आ रहा आम आदमी