एनपीए पर लड़ाई में सरकार व कंपनियां आमने सामने
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआइ और सरकार की तरफ से इसका क्या जवाब दिया जाता है क्योंकि इससे एनपीए के खिलाफ सरकार की आगे की लड़ाई का रुख तय होगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एनपीए यानी फंसे कर्जे के खिलाफ सरकार की नई कवायद एक लंबी व उलझी हुई कानूनी प्रक्रिया में फंसती दिख रही है। एक बड़े रसूखदार कर्जदार कंपनी एस्सार स्टील की संपत्ति को बेच कर कर्ज वसूलने की सरकार की मुहिम को गुजरात उच्च न्यायालय के अंतरिम रोक से धक्का पहुंचा है। कुछ और कंपनियों ने भी एस्सार स्टील की राह चुनने के संकेत दिए हैं और वे भी दूसरी अदालतों के दरवाजे पर दस्तक देने की योजना बना रही है।
दूसरी तरफ सरकार भी यह समझ चुकी है कि मामला अदालतों में उलझने जा रहा है। ऐसे में वित्त मंत्रालय भी आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि वे पहले से ही मान कर चल रहे हैं कि कई मामले अदालत में जाएंगे और उसी हिसाब से तैयारी भी चल रही है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से आग्रह किया गया है कि वह हर मामले पर जल्दी से निर्णय करने की व्यवस्था करे।
यही नहीं सरकार ने मौजूदा चयनित 12 कंपनियों के अलावा भी चार दर्जन अन्य बड़े खाताधारकों के खिलाफ कार्रवाई की रूप रेखा तैयार किया जा रहा है। लेकिन असली कदम मौजूदा 12 कंपनियों के खिलाफ उठाये जा रहे कदमों के परिणाम को देखते हुए उठाए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक एस्सार स्टील की तरफ से उच्च न्यायालय में जो तर्क दिया गया है वह काफी महत्वपूर्ण है और सरकार को आगे की रणनीति बनाने में इन बातों को ध्यान में रखना होगा। मसलन, एस्सार स्टील की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया है कि जब 500 कंपनियों पर कर्ज बकाये हैं तो उसकी जैसी कुछ कंपनियों के खिलाफ अलग से कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
साथ ही उसने यह भी कहा है कि जिन बैंकों ने उसे कर्ज दिया था जब वे बकाये कर्ज की राशि के समायोजन करने और कंपनी को नए सिरे से भुगतान की अवधि देने को तैयार हैं तो फिर सरकार व आरबीआइ उसकी परिसंपत्तियों को बेचने का फैसला कैसे कर सकते हैं?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआइ और सरकार की तरफ से इसका क्या जवाब दिया जाता है क्योंकि इससे एनपीए के खिलाफ सरकार की आगे की लड़ाई का रुख तय होगा। बताते चलें कि फंसे कर्जे की समस्या जब काफी बढ़ गई तो केंद्र सरकार ने इसे थामने के लिए नई योजना बनाई है। इसके लिए बैंकिंग से जुड़े तमाम कानूनों में संशोधन किये गये हैं और रिजर्व बैंक को कर्ज वसूली का फार्मूला तय करने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत ही पहले चरण में 12 दर्जन सबसे बड़े कर्जदार कंपनियों की सूची बनाई गई है।
इनमें से कुछ कंपनियों के प्रबंधन को सरकार दूसरी कंपनी को देना चाहती है तो कुछ कंपनियों को नए दिवालिया कानून के तहत दिवालिया घोषित कर उनकी परिसंपत्तियों को जल्द से जल्द नीलाम करने की व्यवस्था की गई है। एस्सार स्टील को भी सरकार दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरु की हुई है।