Move to Jagran APP

इजरायली तजुर्बे से लहलहाएगी घरेलू खेती

समझौते में घरेलू कृषि श्रृंखला की कमजोर कडि़यों को मजबूत बनाने की कोशिश पर विशेष जोर दिया गया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 08 Jul 2017 01:36 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jul 2017 01:36 AM (IST)
इजरायली तजुर्बे से लहलहाएगी घरेलू खेती

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में विकास के रास्ते खोलने के लिए इजरायल के साथ हुआ समझौता बेहद मुफीद साबित होगा। फसलों की उत्पादकता बढ़ाकर खेती को घाटे से उबारने में यह पहल कारगार होगी। सीमित संसाधनों के बीच अपनी टेक्नोलॉजी के तजुर्बे के बूते खेती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले इजरायल का सहयोग मिलेगा। दोनों देशों के बीच कृषि व उससे जुड़े उद्यम को लेकर हुए समझौते में उन अहम पहलुओं को विशेष महत्व दिया गया है, जिनके चलते खेती कमजोर है।

loksabha election banner

समझौते में घरेलू कृषि श्रृंखला की कमजोर कडि़यों को मजबूत बनाने की कोशिश पर विशेष जोर दिया गया है। खेत से खलिहान के रास्ते कृषि उपज के गोदाम तक पहुंचने में भारी नुकसान होता है। इसके लिए पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर समझौता किया गया है। इसमें भी सबसे जल्दी ही खराब होने वाली उपज फूल, फल और सब्जियों को रखा गया है। कोल्ड चेन के अभाव में सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं फसलों में होता है।

प्रति बूंद पानी से अधिक पैदावार (पर ड्राप मोर क्राप) करने की मंशा को सफल बनाने के लिए माइक्रो सिंचाई में इजरायली टेक्नोलॉजी बहुत कारगर होगी। बूंद-बूंद जल से सिंचाई और स्पि्रंकल सिंचाई के मामले में इजरायल अव्वल है। समझौते में इसे खास अहमियत दी गई है। घरेलू खेती में गुणवत्ता वाले नये बीज खेतों तक पहुंचाना एक बड़ी समस्या है। घरेलू कृषि संस्थानों व विश्वविद्यालयों में नये बीजों को तैयार करने में इजरायली वैज्ञानिक मदद करेंगे।

प्लांट प्रॉटक्शन (पादप संरक्षा) के क्षेत्र में भारतीय कृषि को सख्त नई टेक्नोलॉजी की जरूरत है। बैक्टीरिया और वायरस के चलते यहां फसलों और मवेशियों में ढेर सारी बीमारियां फैलती हैं, जिससे सालाना भारी क्षति हो रही है। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों को इजरायल के वैज्ञानिक मदद करेंगे। पोलिनेशन टेक्नोलॉजी (परागण प्रौद्योगिकी) को लेकर दोनों देशों के बीच परस्पर मदद के लिए समझौता हुआ है। इस तजुर्बे से पराग वाली फसलों की उत्पादकता में 40 से 60 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की जा सकती है।

कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाने की टेक्नोलॉजी पर विशेष जोर दिया गया है। सिंचाई के लिए पानी की लगातार कमी हो रही है, जिसे पूरा करने के लिए इजरायल की उम्दा जल टेक्नोलॉजी व प्रबंधन हमारे काम आ सकती है। इसमें पानी का दोबारा उपयोग खास है। इजरायल में 75 फीसद पानी साफ कर दोबारा उपयोग में लाया जाता है। समझौते में शामिल इन प्रमुख पहलुओं के अलावा दोनों देशों के सदस्यों की एक संचालन समिति गठित की जायेगी, जो इसके अलावा भी कुछ क्षेत्रों को इसमें शामिल कर सकती है।

यह समझौता 2018 से 2020 की अवधि के लिए किया गया है। समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 10 मई 2017 को येरुशलम में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच लंबा गहन विचार-विमर्श किया गया था। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय इजरायल दौरे के समय अंतिम रूप दिया गया। भारत के कई राज्यों में इजरायल के सेंटर आफ एक्सलेंस स्थापित किये गये हैं। उनके उत्साहजनक नतीजे मिल रहे हैं, लेकिन इसका लाभ फिलहाल सीमित क्षेत्रों में मिल रहा है।

अब इन सेंटरों की संख्या और दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। फिलहाल ये सेंटर हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, गुजरात और कर्नाटक में खुले हुए हैं। जबकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में इनकी स्थापना की तैयारियां चल रही हैं।

यह भी पढ़ें : G-20 शिखर सम्मेलन: आशंकाओं के बीच हो ही गई मोदी-चिनफिंग मुलाकात


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.