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सरकार ने फिर ठुकराई सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश

केंद्र सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश को ठुकरा दिया है। कोलेजियम ने पटना हाईकोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश भेजी थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 09 Jun 2016 01:17 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jun 2016 02:00 AM (IST)

नई दिल्ली, (पीटीआई)। स्थापित परंपरा से हटते हुए सरकार ने दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश ठुकरा दी है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने पटना हाईकोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश फिर से भेजी थी। सरकार की आपत्ति को दरकिनार करते हुए कोलेजियम अपनी सिफारिश पर अभी भी अड़ा है।

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सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बुधवार को कहा कि नवंबर 2013 में कोलेजियम ने राज्य न्यायिक सेवा के एक सदस्य को पटना हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए फाइल कोलेजियम के पास भेज दी थी। सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाया था।

सरकार के पास फाइल लंबित रहने के दौरान 13 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम अधिसूचित किया गया। कोलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग करने वाले नए कानून को पिछले वर्ष 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद शीर्ष अदालत और 24 हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की पुरानी प्रणाली पटरी पर लौट आई।

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कोलेजियम प्रणाली की वापसी के बाद कानून मंत्रालय ने उसकी पूर्व की सिफारिशों को देखने का फैसला लिया। मार्च 2016 में कोलेजियम की सिफारिश पर दोबारा विचार करने का आग्रह के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लौटाने का फैसला लिया गया था। लेकिन कोलेजियम ने अप्रैल में फिर से अपनी सिफारिश दोहरा दी।

मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि कोलेजियम अपनी सिफारिश दोहराता है तो सरकार को नियुक्ति करनी होगी। लेकिन साथ ही सरकार अपनी मर्जी मुताबिक लंबे समय तक फाइल पर कुंडली मार कर बैठी रह सकती है। नियुक्ति की कोई समयसीमा नहीं होने से ऐसे में देरी स्वाभाविक है।

प्रक्रिया के संशोधित स्मार पत्र (सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की भावी नियुक्ति में दिशानिर्देश देने वाला दस्तावेज) के अनुसार केंद्र ने एक बार फिर सिफारिश ठुकरा दी है। केंद्र ने साफ संकेत दिया है कि कोलेजियम द्वारा सिफारिश दोहराने के बावजूद वह पुनर्विचार के लिए बाध्य नहीं है। लेकिन प्रक्रिया को परखने के बाद कोलेजियम ने शर्त पर सवाल उठा दिया और दस्तावेज सरकार को लौटाया गया है।

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