अगले साल तक 33 हजार के स्तर को पार सकती है सोने की कीमत, जानें-क्यों?
सोने की कीमत में फिलहाल एक साल तक कमी आने की उम्मीद नहीं। इसके पीछे कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय कारण हैं। आइए आपको बताते हैं क्या हैंं वो कारण
नई दिल्ली। शुक्रवार को ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर आने के पक्ष में जनमत संग्रह का फैसला आने के बाद दुनियभर के बाजारों में आई जबरदस्त गिरावट के बाद धीर-धीरे बाजार में सुधार आना शुरू हो गया है। भारतीय शेयर बाजार जिसमें ब्रेक्सिट के फैसले के बाद 1000 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखी गई थी वो आज संभलकर खुला है और निचले स्तर पर खरीददारी भी देखने को मिल रही है लेकिन सोने की कीमत में फिलहाल कमी होने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। इसके पीछे कई कारण हैं जिसकी वजह से अगले एक साल तक सोने की चमक फीकी पड़ने की उम्मीद कम है।
सुरक्षित निवेश माना जाता है सोना
ब्रेक्जिट का फैसला आने के बाद दुनियाभर के बाजारों में आई गिरावट के बाद निवेशकों में अब भी घबराहट का माहौल है जिससे सुरक्षित माने जाने वाले सोने में लगातार निवेश बढ़ रहा है। फिलहाल अंतराष्ट्रीय बाजार में कॉमेेक्स पर सोना 0.6 फीसदी की बढ़त के साथ 1330 डॉलर के पार चला गया है। शुक्रवार को सोना 8.2 फीसदी उछलकर 1319 डॉलर प्रति ओंस के स्तर पर पहुंच गया था। भारतीय बाजार की बात करें तो शुक्रवार को ब्रेक्जिट की वजह से सोना 1215 रूपये बढ़कर 26 महीने के उच्चतम स्तर 30,885 के स्तर तक पहुंच गया था।
करेंसी बाजार पर बढ़ता दवाब और रूपये की गिरती कीमत
ब्रेक्जिट की वजह से शुक्रवार को रूपये की कीमत में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। मुद्राबाजार में मची इस अफरातफरी की वजह से रूपया डॉलर के मुकाबले चार महीने की निम्न स्तर पर 68.21 तक पहुंच गया जिससे सोना काफी महंगा हो गया। सोने की इस बढ़ी कीमत के आने वाले दिनों में भी कम होने के आसार कम ही हैं क्योंकि सरकार इस साल उम्मीद से भी अच्छे मौसम का अनुमान लगा रही है है। वहीं अगले साल की शुरूआत में शादियों के भी खूब मुहुर्त हैं। जिससे उम्मीद की जा रही है कि फिजिकल मार्केट में मांग बढ़ सकती है। ऐसे में अगले साल तक सोने की कीमत 33 हजार रूपये प्रति दस ग्राम तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
तीन दशकों के निम्नतम स्तर पर पौंड
ब्रेक्जिट के जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन की मुद्रा पौंड तीन दशकों के निम्नतम स्तर को छू गई जिससे निवेश के लिए सुरक्षित विक्लप के रूप में सोने की मांग बढ़ गई और वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजारों में गिरावट देखने को मिली।
अंतराष्ट्रीय राजनीतिक तनाव से सोना मजबूत
माना जा रहा है कि दुनियाभर के कई देशों में जारी राजनीतिक अस्थिरता, निवेश को लेकर बढ़ता जोखिम, मौसम परिवर्तन जैसे कारणों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत आने वाले दिनों में बिगड़ सकती है। ऐसें में निवेशक फिर एक बार निवेश के लिए सोने को सबसे सुरक्षित साधन मान रहे हैं। दूसरी ओर अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हैं और अमेरिका में नई सरकार के आने तक अर्थव्यवस्था थोड़ी अस्थिर होने की आशंका है जिसके मद्देनजर निवेशक फिर बार शार्ट टर्म में निवेश के लिए सोने का ही रूख करेंगे।
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