जानें कश्मीर और गाजा में क्या है समानता, फन फैलाए खड़े विवाद
फिलिस्तीन और इजरायल के बीच गाजा विवाद कुछ ऐसा ही है जैसा पाकिस्तान और भारत के बीच कश्मीर। कोशिशों के बाद भी अब तक अनसुलझे हैं यह दोनों।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। फिलिस्तीन-इजरायल और भारत-पाकिस्तान की कहानी कुछ एक जैसी ही है। आपको यह जानकर भले ही हैरानी हो, लेकिन यह सच है। इतना ही नहीं फिलिस्तीन और इजरायल के बीच गाजा पट्टी को लेकर जो विवाद है वह भी काफी कुछ कश्मीर की ही तरह है। अब इन दाेनों की भारत से समानता की बात का खुलासा करते हैं। दरअसल, भारत से पाकिस्तान को अलग कर एक नया राष्ट्र बनाने की वजह इन इलाकों में मुस्लिम बहुल आबादी थी। धर्म के आधार पर पाकिस्तान का उदय हुआ था। ठीक इसी तरह से फिलिस्तिीन से अलग होकर इजरायल का उदय हुआ था। धर्म के आधार पर ही यह दोनों अलग-अलग राष्ट्र की सूरत में विश्व में सामने आए थे।
जिस तरह से भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद कश्मीर का मुद्दा विवादित होता चला गया ठीक इसी तरह से फिल्स्तिीन और इजरायल के उदय के साथ ही गाजा विवाद भी सामने आया। इनके उदय से लेकर अब तक गाजा विवाद में दोनों और से कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन मामला ज्यों का त्यों बना हुआ है, ठीक कश्मीर मामले की तरह ही। कश्मीर मामले में जिस तरह से भारत और पाकिस्तान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं ठीक वैसे ही गाजा पट्टी से फिलिस्तीन और इजरायल भी इस पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।
कश्मीर में पाकिस्तान ने धोखे से जिस तरह से 1947 में पाकिस्तान की सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया था। कुछ ऐसे ही फिलिस्तीन और इजरायल के अलग होने के बाद कुछ देशों की साजिश के चलते छेड़े गए युद्ध में जीत के बाद इजरायल ने वर्ष 1947 में गाजा इलाके पर अपना कब्जा कर लिया था। कभी यह इलाका मिस्र के कब्जे में हुआ करता था।
2005 में इजरायल ने फिलीस्तीनी स्वतंत्रता संस्था के साथ हुए समझौते के तहत गाजा और पश्चिमी तट से बाहर हट जाने का फैसला किया था। साथ ही इजरायल ने गाजा तथा पश्चिमी तट पर स्थित यहूदी बस्तियों को भी हटाने का काम शुरु किया था। 2007 में हुए चुनाव में हमास जिसे इजरायल समेत संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित किया है, ने इसकी सत्ता हथिया ली थी। 15 लाख की आबादी वाला यह इलाका करीब 45 किमी के दायरे में फैला है। कई बार इस मुद्दे पर तनाव को कम करने की कोशिशें की गई हैं, लेकिन यह कोशिशें सफल नहीं हो सकी हैं।
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अब पहली बार यह बात सामने आई है कि भारत के दौरे पर आने वाले फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास इस बाबत भारत से बात की है। पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान यह बात सामने निकल कर आई है। उन्होंने कहा था कि फिलिस्तीन और इजराइल के बीच विवाद के निपटारे में भारत बेहद अहम भूमिका निभा सकता है। विवाद को सुलझाने में भारत की भूमिका इसलिए भी अहम होगी क्योंकि भारत के दोनों ही देशों से अच्छे संबंध हैं। अब्बास का कहना था कि दोनों देशों के विवाद के निपटारे के लिए फिलिस्तीन किसी भी तरह की सैन्य दखल के खिलाफ हैं।
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अब्बास द्वारा कही गई इन बातों का विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी भी मानते हैं यदि फिलिस्तीन इस तरह की मदद के लिए भारत से कहता है तो भारत इसके लिए तैयार हो जाएगा। क्योंकि दोनों ही देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं। उनका यह भी कहना है कि भारत की नीति ऐसी है जिसमें ये नहीं है कि जिसके साथ मिले उसके साथ वैसी बात कर ली जाए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि जुलाई में पीएम मोदी की होने वाली इजरायल यात्रा पर भी इस तरह की बात सुनने को मिले और भारत इसके लिए तैयार भी हो जाए। यह भारत की स्थिति को और मजबूत करने के लिए भी सहायक साबित होगा। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जल्द ही आपसी बातचीत शुरू होगी जिससे दोनों के बीच वर्षो से जारी तनाव का कोई समाधान निकल सकेगा।
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भारत और फिलिस्तीन के बीच पांच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग समझौते भी हुए हैं। ये समझौते मुख्य तौर पर भारत की तरफ से फिलिस्तीन को दी जाने वाली मदद से जुड़े हैं। मसलन, स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक, फिलिस्तीन को भारत कई तरह की मदद मुहैया कराएगा। कृषि क्षेत्र में भी एक करार हुआ है जिसके तहत फिलिस्तीन को भारत की मदद मिलेगी। दोनों देश एक दूसरे के सरकारी अधिकारियों को बगैर वीजा आने जाने की छूट देने को भी तैयार हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत व फिलिस्तीन के बीच संबंध बहुत पुराने और अच्छे रहे हैं। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में दोनों देशों के बीच राजनयिक और कूटनीतिक संबंधों ने नई ऊंचाईयों को छुआ। फलस्तीनी नेता यासिर अराफात ने तमाम बार भारत को भरोसेमंद दोस्त कहा। तमाम मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का साथ भी दिया