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एच1बी वीजा अब कूटनीति के लिए भी चुनौती, नौकरियां जाने का भी खतरा

अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान वित्त मंत्री जेटली इस मुद्दे अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 08:50 AM (IST)
एच1बी वीजा अब कूटनीति के लिए भी चुनौती, नौकरियां जाने का भी खतरा
एच1बी वीजा अब कूटनीति के लिए भी चुनौती, नौकरियां जाने का भी खतरा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एच1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने की बात पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी की थी लेकिन भारत ने तब उन्हें मना लिया था। ट्रंप प्रशासन ने इस पर भारत के एतराज को परे रखते हुए एच1बी वीजा करने की प्रक्रिया सख्त कर दी है। इससे न सिर्फ भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बढ़ गई है बल्कि देश की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए भारी मुसीबत पैदा हो गई है।

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गुरुवार को अमेरिका रवाना हो रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वहां इस मुद्दे को उठाने की बात कही है तो भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में बढ़ती लागत से निपटने के उपाय खोजने शुरू कर दिए हैं। भारतीय आइटी कंपनियों में बेहद प्रसिद्ध एच1बी वीजा देने पर नई व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को हस्ताक्षर कर दिए हैं।

हर वर्ष  80-90 हजार वीजा जारी करता है अमेरिका

हर वर्ष अमेरिका की तरफ से इस श्रेणी के 80-90 हजार वीजा जारी किये जाते हैं। इसका सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय आइटी कंपनियों को मिलता है। अमेरिका की नई व्यवस्था के लिए बेहद प्रशिक्षित लोगों को ही यह वीजा मिलेगा और उन्हें ज्यादा वेतन भी कंपनियों को देना होगा। यह इसलिए किया गया है, ताकि आइटी कंपनियां भारतीय आइटी इंजीनियरों को वहां ले जाने के बजाय स्थानीय अमेरिकियों को ही नौकरी दें। जो भी हो इससे लागत बढ़ेगी और देशी आइटी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा। इंफोसिस, टीसीएस जैसी देश की दिग्गज आइटी कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा (60 फीसद तक) अमेरिका से आता है। कहने की जरूरत नहीं कि इससे इन कंपनियों पर काफी वित्तीय असर पड़ेगा।

पिछले तीन महीने से भारत लगातार उठा रहा है यह मुद्दा

गुरुवार को अमेरिका रवाना हो रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वहां के अधिकारियों के साथ इस मसले पर बात होगी। वैसे पिछले तीन महीने से लगातार भारत इस मुद्दे को अमेरिकी प्रशासन के समक्ष विभिन्न स्तर पर उठाता रहा है लेकिन जाहिर है कि उसका नतीजा नहीं निकला है। इसके असर के बारे में भारतीय आइटी कंपनियों के सबसे बड़े संगठन नासकॉम ने कहा है कि इसके दूरगामी असर होंगे। वैसे चालू वित्त वर्ष के दौरान मौजूदा वीजा व्यवस्था ही जारी रहेगी और इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय आइटी कंपनियां ही उठाएंगी। लेकिन अगले वर्ष से हालात बदल सकते हैं। नासकॉम ने इस बारे में अमेरिका के सामने अपना पक्ष रखने के लिए एक समिति भी बनाई है।

भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा असर

एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है अमेरिकी सरकार के नए कदम से भारतीय आइटी कंपनियां नौकरियों में छंटनी कर सकती हैं। अभी तक लागत कम होने से ही अमेरिका में भारतीय कंपनियों का परचम लहरा रहा था लेकिन दूसरे देश की कंपनियां भारत का हिस्सा खा सकती हैं। अभी 86 फीसद तक एच1बी वीजा भारत को मिलता है जो घट कर 60 फीसद हो सकता है। भारत सॉफ्टवेयर निर्यात से 100 अरब डॉलर की कमाई करता है जिस पर असर पड़ेगा। कुछ भारतीय कंपनियों ने कहा भी है कि वे अमेरिका के लिए अपनी नई रणनीति बनाएंगी जिसमें स्थानीय प्रतिभाओं को भारत से ज्यादा तरजीह दी जाएगी।

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