Move to Jagran APP

धुम्रपान के खिलाफ शिक्षक की जंग

नरेंद्र शर्मा पिछले कई वर्षो से धूमपान के खिलाफ अलख जगाए हुए हैं। अब तक बड़ी संख्या में लोगों को धूमपान से तौबा करा चुके हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। प्रतिवर्ष धूमपान निषेध दिवस पर शिविर भी लगाते हैं।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sun, 01 Feb 2015 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 12:39 PM (IST)

इंदु शेखावत, गाजियाबाद। नरेंद्र शर्मा पिछले कई वर्षो से धूमपान के खिलाफ अलख जगाए हुए हैं। अब तक बड़ी संख्या में लोगों को धूमपान से तौबा करा चुके हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। प्रतिवर्ष धूमपान निषेध दिवस पर शिविर भी लगाते हैं। इसमें धूमपान से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं। इसके लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। वह कहते हैं कि इससे मुङो आत्म संतुष्टि मिलती है। मुङो खुशी है कि धूमपान निषेध में मेरा कारवां बढ़ता जा रहा है।

loksabha election banner

कराते हैं धूमपान से तौबा
जिले के गांव भीकनपुर के मूल निवासी व सर्वहितकारी पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद से हाल में सेवानिवृत्त नरेंद्र शर्मा वर्ष 1995 से धूमपान निषेध के लिए अलख जगाए हुए हैं। वह नुक्कड़ सभाएं कर लोगों को धूमपान नहीं करने की नसीहत देते हैं और धूमपान से होने वाले खतरों से आगाह करते हैं।

पढ़ें - जागरण कनेक्शन में लोगों का धमाल, सन डे को बनाया फन डे

धूमपान निषेध के लिए नरेंद्र शर्मा अब तक कई हजार पंफलेट बांट चुके हैं। इन पंफलेट में धूमपान के नुकसान लिखे होते हैं। इसके अलावा बसों, ट्रेन, सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान निषेध को लेकर स्टीकर चिपकाते हैं। बच्चों के साथ बस अड्डे व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नुक्कड़ सभाएं करते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं। वे कहते हैं कि कई बार लोगों का विरोध ङोलना पड़ता है कि तूने ठेका ले रखा है बीड़ी-सिगरेट छुड़ाने का।

नरेंद्र शर्मा का जवाब होता है कि ठेका तो नहीं ले रखा, मगर कोशिश कर रहा हूं। वे लोगों से खुद पूछते हैं कि बताओ धूमपान से क्या फायदा है? चुप्पी साधने के बाद लोग धूमपान से तौबा करने का संकल्प लेते हैं। वे कहते हैं कि मैं एक शिक्षक हूं। बच्चों को शिक्षा देता हूं। जन जागरण करना मेरा मिशन है। शिक्षक होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि समाज को सही दिशा दिखाऊं।

बच्चों को बनाया माध्यम
नरेंद्र शर्मा बताते हैं कि अक्सर गांव में बुजुर्गो के अतिरिक्त कम उम्र बच्चों को चोरी-छुपे बीड़ी, सिगरेट पीने व हुक्का गुड़गुड़ाते देखते थे तो उन्हें लगता था कि ये बच्चे धूमपान के नुकसान को नहीं समझते हैं। बस उन्होंने धूमपान निषेध को मिशन बना लिया। वे बताते हैं कि बच्चे नकलची होते हैं, अपने बड़ों की अच्छी-बुरी बातों को आत्मसात कर लेते हैं। लिहाजा उन्होंने बच्चों को माध्यम बनाया।

नौकरी के दौरान स्कूल में प्रार्थना के बाद अक्सर बच्चों को धूमपान के नुकसान बताते थे और उन्हें संकल्प दिलाते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि बच्चों ने अपने घरो में धूमपान निषेध कराया। अक्सर बच्चे उन्हें बताते थे कि मास्टर जी हमने आज एक व्यक्ति को धूमपान से तौबा करा दी। वे कहते हैं कि स्कूल में साल के आखिरी दिन यानि रिजल्ट वाले दिन वे सभी बच्चों को धूमपान निषेध के लिए शपथ दिलाते थे।

धूमपान से नुकसान
वह बताते हैं कि धूमपान दो तरह के होते हैं और दोनों ही नुकसानदेय हैं। एक में धूमपान का धुआं आसपास खड़े लोगों को हानि पहुंचाता है। इसके सेवन से फेफड़े खराब होते हैं, लिहाजा टीबी व कैंसर के साथ ही नपुंसकता की शिकायत आती है। दूसरे में शिशुओं को हानि पहुंचाता है। इसमें धूमपान करने वाला शिशुओं को प्रेमवश गोद में लेकर चूमता है। धूमपान करने वाले व्यक्ति की सांस छोटे बच्चों के नाजुक अंगों को बुरी तरह प्रभावित करती है। इस धूमपान का असर बच्चों पर होता है पर महसूस नहीं होता और बच्चे खांसी आदि के शिकार हो जाते हैं।

पढ़ें - 10 साल से चला रहे पानी बचाने की मुहिम

पढ़ें - तालाब की बदहाली देख छेड़ दी बदलाव की मुहिम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.