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10 साल से चला रहे पानी बचाने की मुहिम

जल ही जीवन है। इस बात को नित्या जैकब (49) अच्छी तरह समझते हैं। तभी तो करीब 10 वर्षो से वह जल संरक्षण के काम में जुटे हैं। नित्या ने केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि 11 राज्यों में जल संरक्षण के लिए काफी संघर्ष किया है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 02:14 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 03:00 PM (IST)

अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली। जल ही जीवन है। इस बात को नित्या जैकब (49) अच्छी तरह समझते हैं। तभी तो करीब 10 वर्षो से वह जल संरक्षण के काम में जुटे हैं। नित्या ने केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि 11 राज्यों में जल संरक्षण के लिए काफी संघर्ष किया है।

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राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन से पहले वसंतकुंज में नीला हौज के ऊपर फ्लाइओवर का निर्माण किया गया। इससे हौज का स्वरूप बिगड़ गया था। इसके पुनर्जीवन के लिए नित्या ने काफी संघर्ष किया। उन्होंने अदालत में जनहित याचिका दाखिल की। उनके प्रयास से आज इस हौज को नया जीवन दिया जा रहा है। वह चाहते हैं कि इसमें फिर से स्वच्छ पानी आए और जलजीवों की जीवनस्थली बन सके।

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नित्या कहते हैं कि दिल्ली में पानी के प्राकृतिक स्रोतों का जिस तरह दोहन किया जा रहा है, वह खतरनाक है। आने वाले समय में पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। पानी की हर बूंद कीमती है और इसे बचाने के लिए काफी पहले से प्रयास किए जाना चाहिए था। हमारी गलती का खामियाजा आने वाली पीढ़ी न भुगते, इसके लिए अब भी जाग जाएं तो सुधार हो सकता है।

दिल्ली व देश के अन्य हिस्सों में गिरते भूजल स्तर को देखते हुए पेशे से पत्रकार रहे नित्या ने वर्ष 2004 में जल संरक्षण का काम शुरू किया। पानी बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए और कम से कम भूजल दोहन का संदेश दिया।

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..और बन गया काफिला
वसंतकुंज में बी-1 में रहने वाले नित्या ने ओवरब्रिज बनने के बाद वर्ष 2012 में नीला हौज को साफ करने का फैसला किया। महरौली, छतरपुर, मसूदपुर, रंगपुरी, रंगपुरी पहाड़ी आदि गांवों में उन्होंने लोगों को जागरूक किया और तालाब की सफाई में श्रमदान के लिए प्रेरित किया। सभी गांवों के सैकड़ों लोगों ने तालाब को साफ किया। अभी तालाब के पुनर्जीवन का काम डीडीए कर रहा है।

नित्या रंगपुरी पहाड़ी में एनजीओ के सहयोग से पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने में भी सहयोग कर रहे हैं। करीब 50 एनजीओ को वह जल संरक्षण का काम करने के लिए तकनीकी व आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा रहे हैं। नित्या की पत्नी मालविका एक निजी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पढ़ाती हैं और जल संरक्षण के काम में उनका हाथ भी बंटाती हैं। उनका 18 वर्षीय बेटा आर्यमान पढ़ाई कर रहा है।

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