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धार्मिक कट्टरता पर पीएम का बड़ा बयान, बोले- सरकार करेगी कड़ी कार्रवाई

धर्मांतरण, घर वापसी, चर्च में हुई अप्रिय घटनाओं के विवादों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर किसी को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी देश में हर किसी को अपनी पसंद के धर्म का

By Test1 Test1Edited By: Published: Tue, 17 Feb 2015 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 17 Feb 2015 08:42 PM (IST)
धार्मिक कट्टरता पर पीएम का बड़ा बयान, बोले- सरकार करेगी कड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। धर्मांतरण, घर वापसी, चर्च में हुई अप्रिय घटनाओं के विवादों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर किसी को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी देश में हर किसी को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता हो और उससे किसी तरह की छेड़छाड़ न हो।

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बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री का यह बयान खासा अहम है क्योंकि पिछला सत्र ऐसे ही मुद्दों की भेंट चढ़ गया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी आईना दिखाते हुए संदेश दे दिया कि धार्मिक सद्भाव पूरे विश्व के लिए बेहद जरूरी है और हर देश को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

परोक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संकेत भी दिया कि वह अपने घर की भी चिंता करें। मंगलवार को प्रधानमंत्री संत कुरियाकोस एलियास चावरा और मदर यूफ्रेसिया की याद में आयोजित ईसाई समारोह में मौजूद थे। मोदी ने इसी मंच को सख्त संदेश देने के लिए चुना।

द्वेष फैलाने को मंजूरी नहीं :

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मेरी सरकार किसी को भी चाहे वह बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक, उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी के खिलाफ द्वेष फैलाने की मंजूरी नहीं देगी। यह बुद्ध और महात्मा की भूमि है और इसलिए प्रत्येक नागरिक के डीएनए में सभी धर्र्मों के लिए सम्मान होना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'गुरू रबींद्रनाथ टैगोर ने ऐसी भूमि का सपना देखने को प्रेरित किया जहां न भय हो और सिर गर्व से ऊंचा रहे। आजादी के ऐसे स्वर्ग के सृजन व संरक्षण को हम कटिबद्ध हैं।'

एक तीर से कई निशाने :

प्रधानमंत्री ने एक तीर से कई निशाने लगाए। एक तरफ जहां संघ के आनुषांगिक संगठनों को यह संदेश दे दिया है कि वह बेवजह हिंदुत्व का नारा बुलंद कर विवाद न खड़ा करें। वहीं भड़काऊ बयान देने वाले अल्पसंख्यक संगठनों और उनकी पैरवी करने वाले दलों को भी हिदायत दी। घर वापसी के मुद्दे पर संसद न चलने देने वाले उन विपक्षी नेताओं को भी साधने की कोशिश हुई जो यह आरोप लगाते थे कि प्रधानमंत्री धार्मिक उन्माद के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैैं।

एकजुटता से ही विकास :

'सबका साथ-सबका विकास' नारे को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, 'सरकार हर किसी की थाली में भोजन, हर किसी के लिए शिक्षा और रोजगार चाहती है। यह तभी संभव है जब हम एकजुटता के साथ आगे बढ़ें। किसी भी धर्म व आस्था को अपनाने या उसे बनाए रखने की स्वतंत्रता किसी भी नागरिक की व्यक्तिगत पसंद है।'

विश्व समुदाय को दिखाया आईना :

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दो तरीके से संदेश दिया गया। उन्होंने कहा, 'विश्व में धार्मिक विभाजन की भावना और शत्रुता बढ़ती जा रही है। विश्व ऐसे चौराहे पर खड़ा है जिसे सही ढंग से पार नहीं किया तो वह हमें फिर से धार्मिक उन्माद, कïट्टरता के अंधेरे दिनों में धकेल सकता है।' परोक्ष रूप से उन्होंने अमेरिका सहित दूसरे देशों में हो रही धार्मिक और नस्लीय घटनाओं की याद दिला दी।

अमेरिका में एक दिन पहले ही मंदिर पर भी हमले हुए थे। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति पिछले बीस दिनों में दो बार भारत को धार्मिक सहिष्णुता की सीख दे चुके हैं। अमेरिका को आईना दिखाने के साथ अंतरराष्ट्रीय जगत को यह संदेश भी देने की कोशिश हुई है कि भारत शांत भी है और निवेश के लिए अनुकूल भी। यही कारण है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी चर्च पर हुए हमलों को अपवाद बताते हुए भारत में धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रतिबद्धता जताई।

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