पूर्व कैग विनोद राय बनाए गए बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कार्यप्रणाली पेशेवर बनाने और फंसे कर्ज की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने पूर्व सीएजी विनोद राय को नवगठित बैंक बोर्ड ब्यूरो का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कार्यप्रणाली पेशेवर बनाने और फंसे कर्ज की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने पूर्व सीएजी विनोद राय को नवगठित बैंक बोर्ड ब्यूरो का अध्यक्ष नियुक्त किया है। बैंकों में शीर्ष स्तर पर नियुक्तियां करने का काम यह ब्यूरो ही करेगा। साथ ही बैंकों के विलय और धनराशि जुटाने के संबंध में भी परामर्श देगा।
सरकारी बैंकों के लिए खुलेगी खजाने की झोली
राय के कार्यकाल में ही कैग ने यूपीए के शासन में एक के बाद एक कई मंत्रालयों में घोटालों का पर्दाफाश किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष पद पर राय के नाम पर मुहर लगायी है। राय के अलावा इस ब्यूरो में आइसीआइसीआइ के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक एच एन सिनोर, बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी अनिल के खंडेलवाल और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के पूर्व प्रमुख रूप कुडवा बतौर सदस्य शामिल होंगे। राय की नियुक्ति दो साल के लिए की गई है।
मोदी सरकार ने बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन ऐसे समय किया है जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्ज की राशि लगभग चार लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार करने को है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सबसे बड़ी समस्या इस समय फंसा कर्ज की है। ब्यूरो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निदेशकों की नियुक्ति, धन जुटाने के तरीकों और विलय तथा अधिग्रहण के संबंध में सलाह देगा। इसके अलावा ब्यूरो लगातार बैंकों के निदेशकों के साथ संपर्क में रहकर बैंकों के लिए रणनीति तैयार करने में भी मदद करेगा। साथ ही गैर कार्यकारी अध्यक्ष और गैर सरकारी निदेशकों की नियुक्ति भी यही बोर्ड करेगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आम बजट 2015-16 में बैंक बोर्ड ब्यूरो बनाने की घोषणा की थी।
राय को अध्यक्ष बनाने पर कांगे्रस को ऐतराज
कांग्रेस पार्टी ने बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष पद पर पूर्व सीएजी विनोद राय को बनाए जाने पर कांगे्रस ऐतराज जताया है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री ने राय को पदम अवार्ड दिया है और अब उन्हें बैंक बोर्ड ब्यूरो का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि अरुण जेटली ने पूर्व में कहा था कि सीएजी को सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं देना चाहिए। उन्होंने सरकार पर यूटर्न का आरोप लगाया। सुरजेवाला ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियुक्ति करने वाली संस्था का अध्यक्ष राय को बनाने से क्या संविधान के अनुच्छेद 148 (4) का उल्लंघन नहीं है।