गंभीर मामलों में आरोप तय होते ही चुनाव लड़ने पर रोक लगे
राजनीति से अपराधियों के सफाए के लिए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से भी बढ़कर कड़े कदम उठाने की सिफारिश की है। उसने सरकार से ऐसा प्रावधान करने के लिए कहा है, जिससे कोर्ट में आरोप तय होते ही गंभीर मामलों के अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लग सके। इतना ही नहीं आयोग ने ऐसे नेताओं को चुनाव
नई दिल्ली। राजनीति से अपराधियों के सफाए के लिए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से भी बढ़कर कड़े कदम उठाने की सिफारिश की है। उसने सरकार से ऐसा प्रावधान करने के लिए कहा है, जिससे कोर्ट में आरोप तय होते ही गंभीर मामलों के अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लग सके। इतना ही नहीं आयोग ने ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने की व्यवस्था करने के लिए भी कहा है जो नामांकन के साथ झूठा हलफनामा दाखिल करने के दोषी पाए जाएं। आयोग ने इस अपराध के दोषियों के लिए दो वर्ष कैद की भी सिफारिश की है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस संपत के अनुसार, 'अगर किसी व्यक्ति पर ऐसा कोई आपराधिक मामला दर्ज है, जिसमें उसे न्यूनतम पांच वर्ष तक संजा हो सकती है और निर्वाचन से छह महीने पूर्व यदि उस पर आरोप तय हो जाता है तो ऐसे शख्स को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किए जाने का प्रावधान होना चाहिए।' उन्होंने बताया कि आयोग ने इस बारे में कानून मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। जिसे मंत्रालय ने विधि आयोग को अग्रसारित कर दिया है। बकौल संपत, 'झूठा हलफनामा दाखिल करने वालों को कम से कम दो वर्ष की सजा तो मिलनी ही चाहिए। इसके साथ ही हमने ऐसे लोगों को दो वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने का भी प्रस्ताव किया है।' मौजूदा प्रावधान के तहत आय व संपत्ति सहित आपराधिक ब्योरा छिपाते हुए झूठा हलफनामा दाखिल करने के दोषियों के लिए छह महीने कैद और जुर्माना की व्यवस्था है। आयोग का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई, 2013 के अपने फैसले के तहत गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होते ही दोषियों की संसद और विधान सभा सदस्यता तुरंत खत्म करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी।
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